किसानों को विभिन्न प्रकार से सहायता पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों के द्वारा ही विभिन्न प्रकार की योजनाएं लागू की गई है इसके बाद भी यह देखा जाता है कि देश के विभिन्न राज्यों में हजारों किसान प्रतिवर्ष आत्महत्या करते हैं.
मुंबई /लगातार देश के विभिन्न प्रदेशों से आ रहे आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में पिछले 3 वर्षों में लगभग 12000 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं इसका तात्पर्य है कि हर साल औसतन 3000 से अधिक किसान आत्महत्या कर लेते हैं आत्महत्या का कारण सूखा बाढ़ या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा होती है जिसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा बनाई योजनाएं भी नाकाफी साबित हो रही हैं. इस मामले में संसद में महाराष्ट्र के संदर्भ में सवाल आया तो अपना जवाब देती हुई मंत्री श्री देशमुख ने कहा कि यह बात सही है कि पिछले 4 सालों में करीब 12000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है किंतु यही सत्य है कि लगभग 6888 किसानों का मुआवजा तैयार था और 6845 किसानों को एक लाख का मुआवजा अब तक सरकार द्वारा दिया गया है .इसलिए मैं किसानों से अपील करता हूं कि वह आत्महत्या ना करें थोड़ा धैर्य से काम ले उनका मुआवजा आज नहीं तो कल उन्हें मिलेगा अवश्य ही ।सरकार हमेशा से ही उनके साथ रही है और रहेगी ।
यह बात तो सत्य है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं लागू की गई है लेकिन किसानों की इस बढ़ती आत्महत्या बस यही स्पष्ट करती है कि कहीं ना कहीं जमीनी स्तर पर ये योजनाएं क्रियान्वित नहीं हो रही है इसके लिए क्या शासन जिम्मेदार हैं या प्रशासन।