रायपुर/ छत्तीसगढ़ी फिल्मों की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री उपासना वैष्णव से महिला दिवस के अवसर पर विशेष चर्चा

नाम- उपासना वैष्णव
जन्म स्थान- उतई, जिला- दुर्ग (छ.ग.)
पिता का नाम- श्री जी.पी. रजक (लोकमंच ‘‘तुलसी चौरा’’ के संचालक)
माता का नाम- श्रीमती बिमला रजक
भाई-बहनें- रजनी रजक (सुप्रसिद्ध लोक गायिका), 
मालती रजक (कथक डांसर), 
संगीत रजक (डांसर), 
डॉ. हरीश रजक ( डांसर)
पति- सुशील वैष्णव
स्कूली शिक्षा- उतई जिला- दुर्ग (छ.ग.)
उच्च शिक्षा- एम.ए. (हिन्दी साहित्य), एल.एल.बी. (सुराना कॉलेज, दुर्ग)

सफलता का मंत्र: अपने पैसन को प्रोफेसन बना लें.

न्यूज़4इण्डिया- आपके अभिनय की शुरूआत कब और कैसे हुई.

उपासना- हमारे घर में ही संगीत एवं लोकमंच कला का माहौल था. पिता लोकमंच के कलाकार रहे हैं . मेरे भाई-बहन भी संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में है.

न्यूज़4इण्डिया- अभिनय में आपके गुरू कौन है?
उपासना- मेरे पिता जी.पी. रजक ही मेरे प्रथम गुरू हैं. इसके अलावा रजनीश झा जी एवं विनायक अग्रवाल जी गुरू है, जिन्होंने मुझे अभिनय सिखाया.

न्यूज़4इण्डिया- अब तक आपने लगभग कितनी फिल्मों में काम किया है.
उपासना- मैंने छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी, उड़िया, तमिल एवं हिन्दी को मिला कर कुल 150 से अधिक फिल्मों में काम किया है. 

न्यूज़4इण्डिया- यदि कोई कलाकार छत्तीसगढ़ी फिल्मों में आना चाहते हैं तो उन्हें क्या-क्या तैयारी करनी चाहिए एवं उन्हें  फिल्मों में मौका कैसे मिलेगा.
उपासना-   छत्तीसगढ़ी फिल्मों में यदि आप आना चाहते हैं तो आपका स्वागत है हमारे यहां नये-नये कलाकरों को हमेशा अवसर दिया जाता है. जब भी कोई नई फिल्म बनती है तो नये कलाकारों के लिए ऑडिसन रखा जाता है जिसके माध्यम से आप अपनी प्रतिभा दिखाकर छत्तीसगढ़ी फिल्मों में आ सकते हैं.

न्यूज़4इण्डिया- छत्तीसगढ़ी सिनेमा के लिए आपको कौन-कौने से पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए हैं.
उपासना- छतीसगढ़ी फिल्मों में मैं विगत 20वर्षों से अभिनय कर रही हूं. इस दौरान मैंने निगेटिव, पॉजिटीव एवं कॉमेडी सभी तरह के रोल किये हैं और अनेक पुरस्कार भी मिले हैं जिनमें फिल्म ‘‘मया’’ में निगेटिव रोल के लिए ‘‘बेस्ट एक्टर इन निगेटिव रोल’’ का छत्तीसगढ़ फिल्म फेयर अवार्ड मिला. फिल्म ‘‘लैला टिप टॉप...’’ के लिए ‘‘बेस्ट कैरेक्टर आर्टिस्ट’’, सुपरहिट छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘‘आई लव यू..’’ के लिए ‘‘बेस्ट कॉमेडियन अवार्ड’’ एवं छत्तीसगढ़ी सिनेमा में साल के सबसे ज्यादा फिल्में करने वाले एक्ट्रेस को दिये जाने वाले ‘‘एक्ट्रेस ऑफ द ईयर’’ अवार्ड मुझे छत्तीसगढ़ की जनता के प्यार और आशीर्वाद से लगातर 5 वर्षों से मिलते आ रहा है. 

न्यूज़4इण्डिया-    छत्तीसगढ़ी   फिल्में ज्यादातर दूसरी रिजनल सिनेमा एवं पुरानी हिन्दी फिल्मों कि रिमेक लगती है. मौलिक    छत्तीसगढ़ी   फिल्में बहुत कम है ऐसा क्यों है?
उपासना- कुछ फिल्में  जरूर है जो हिन्दी या रीजनल सिनेमा से प्रभावित रहती हैं. मैं इसमें कोई बुराई नहीं मानती क्योंकि नकल के लिए भी अकल की जरूरत होती है. छत्तीसगढ़ी में वही फिल्में सफल होती है जो दर्शकों के दिल को छूती है जिनमें छत्तीसगढ़ की खुशबू हो.
अब छत्तीसगढ़ी फिल्मों का एक नया दौर शुरू हुआ है अब जो फिल्में आ रहीं है वे मौलिक होने के साथ-साथ पटकथा, लेखन, टेकनीक में और भी बेहतर हो रहीं है. अब हमारी फिल्मों कि शूटिंग देश के अलग-अलग लोकेशन पर भी हो रही है.

न्यूज़4इण्डिया-    छत्तीसगढ़ी  फिल्मों में आपके लिए खास यादगार घटना कौन-सी रही जिसे याद कर आप प्रेरित और उत्साहित हो जाती हैं.
उपासना- मुझे अभी एक घटना याद आ रही है जब हम डायरेक्टर मनोज वर्मा जी (राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त ) कि फिल्म ‘‘महुं दीवाना तहुं दीवानी’’ की शूटिंग कर रहे थे. ठंड का समय था और रात को लगभग 11-12 बज चुके थे, मुझे एक शॉट में केक काटना था और एक लम्बा डायलाग था. यह शॉट मुझे एक टेक में ही पूरा करना था नहीं तो यह शूटिंग लम्बे समय तक नहीं हो पाति और पिक्चर लेट हो जाती. हमारे सभी टीम मेम्बर्स की धड़कने तेज हो गयी थी. मैनें अपने पिता और गुरू को याद किया और एक टेक में यह शॉट पूरा किया. सेट पर मौजूद सभी ने काफी देर तक तालियां बजा कर मेरा सम्मान किया , वो सीन मुझे आज भी याद है. 

न्यूज़4इण्डिया- क्या फिल्मों में महिलाओं के साथ किसी प्रकार का भेद-भाव होता है या उन्हें कम महत्व मिलता है. अनुजा मिश्रा (होशंगाबाद म.प्र. से)
उपासना- जी नहीं अनुजा, हमारे छत्तीसगढ़ी फिल्मों में महिलाओं का बहुत आदर और सम्मान है. कम से कम मैं अपने अनुभव से तो यही कह सकती हूं कि हमारे यहां महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं होता ,उन्हें समान अवसर दिया जाता है. मैंने ज्यादातर आशीष शेंद्रे, प्रदीप शर्मा, ललित उपाध्याय, पुष्पेन्द्र, हेमलाल कौसल के साथ काम किया है और मुझे उन्होंने मेरे एक मित्र की तरह सेट पर ख्याल रखा और सम्मान दिया. वही हमारे डायरेक्टर सतीश जैन, मनोज वर्मा, क्षमानिधी मिश्रा, उत्तम तिवारी एवं मोहन सुंदरानी जी है सभी महिलाओं का बड़ा आदर करते हैं.

न्यूज़4इण्डिया-  कला के क्षेत्र में आप किसे अपना आदर्श मानती हैं और क्यों?
उपासना- मैं अपने पिता और गुरू श्री जी.पी. रजक जी को अपना आदर्श मानती हूं. कला के प्रति उनके समर्पण भाव के कारण मैं उन्हें अपना आदर्श मानती हूं. एक घटना मुझे हमेशा याद रहेगी. मेरी दादी जी का स्वर्गवास हो गया था. उसी दिन रात में मेरे पिता जी का कहीं कार्यक्रम था तो वे अपनी माता के शव को छोड़ , प्रोग्राम देने चले गये. यह उनका कला और मंच के प्रति समपर्ण था. जबकि कार्यक्रम समाप्त होते ही रातों-रात वे घर वापस आ गये और सुबह हमारी दादी और अपनी माता का अंतिम संस्कार कर उन्होंने एक पुत्र का धर्म निभाया. उनका जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है.
न्यूज़4इण्डिया- ऐसे लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगी जो घर में लड़की पैदा होने पर दुखी हो जाते है.
उपासना- आज हम आधुनिक युग में है. आज बेटियां, बेटो से कम नहीं है. आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही है. बल्कि मैं तो यह कहना चाहूंगी कि बेटियां अपने माता-पिता का ख्याल ज्यादा रखती हैं उनकी सेवा करती हैं. इसलिए बेटी होना दुःख नहीं बल्कि गर्व की बात होनी चाहिए.

न्यूज़4इण्डिया- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आप छत्तीसगढ़ की माताओं एवं बहनों को क्या संदेश देना चाहेंगी.
उपासना- आप सभी बहनों को महिला दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आप खूब मेहनत करें एवं आगे बढ़ें और अपने देश, प्रदेश और परिवार का नाम रोशन करें.

न्यूज़4इण्डिया- उपासना जी आपने अपने बिजी शेड्यूल में से हमारे लिए समय निकाला उसके लिए मैं अपने न्यूज़4इण्डिया टी.वी. की ओर से आपको धन्यावाद देता हूं और भविष्य के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं.
उपासना- मैं सौरभ बख्शी जी और न्यूज़4इण्डिया टी.वी. को धन्यवाद देती हूं कि आपने ‘‘महिला दिवस के अवसर पर इन्टव्यू की विशेष श्रृंखला’’ में मुझे आमंत्रित किया और अपने अनुभव और विचार को साझा करने का अवसर प्रदान किया.

न्यूज़4इण्डिया की ओर से विशेष धन्यवाद श्री ओम प्रकाश भोई रायपुरा, रायपुर का जिन्होंने उपासना वैष्णव से संपर्क करने ने हमें सहायता की.

न्यूज़ सोर्स : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अभिनेत्री उपासना वैष्णव से विशेष चर्चा