छत्तीसगढ़ की बासी को खाने के साथ पढग़ें पुस्तक में इसके फायदे

संवाददाता : सौरभ बख़्शी 9826189686

रायपुर - आज मजदूर दिवस है। मजदूर दिवस के अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री ने श्रम का सम्मान करते हुए राज्य के निवासियों से अपील की है आज बासी खाकर श्रम और श्रमिक का सम्मान करेगें। इस तारतम्य में बोरे बासी दिवस भी मनाया जा रहा है। ऐसे समय में स्थानीय निवासी, मेडिकल कॉलेज रायपुर के भूतर्पूव चिकित्सक एवं छत्तीसगढ़ी साहित्यकार डॉ. गीतेश कुमार अमरोहित ने बासी पर एक विशेष पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बासी छत्तीसगढिय़ों केे आहार के रूप में बासी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। बासी बनाने की विधि, बासी के संग खाने वाली चीजें, बासी खाने के लाभ, बासी से परहेज, बासी का पोषक मूल्य, बासी बनाने में सावधानियां, बासी का डिब्बा, कटोरा जैसे अध्यायों के अंतर्गत बासी के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई है। 

पुस्तक की खासियत
सौ से अधिक पृष्ठों के इस पुस्तक में बासी के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। छत्तीसगढ़ की पुरातन और आधुनिक संस्कृति में बासी के महत्व के बारे में बताया गया है। बासी से मिलने वाले विटामिन के बारे में बताते हुए कौन सी बीमारी और अवस्था में बासी पोषक आहार का काम करता है, इस बात की भी चर्चा की गई है। बासी के साथ खाने वाली चीजें जैसे आम का अचार, प्याज, इमली की चटनी, मसूर की सब्जी, कढ़ी जैसे व्यंजनों के बारे में भी बताया गया है। छत्तीसगढ़ के गीतों में बासी का वर्णन कैसा है, इस पर एक अध्याय लिखा गया है। बासी के और भी कई उपयोग हैं, जैसे पतंग चिपकाने में, जानवरों के खाने में, ग्रामीण संस्कृति में परई से बाजा बनाने में, कुछ इस तरह की जानकारियों से भरपूर पुस्तक है बासी। पुस्तक की खास बात यह है कि विषय वस्तु के साथ संबंधित तस्वीर भी प्रदर्शित की गई है। 

कौन हैं डॉ. गीतेश अमरोहित 

लंबे समय तक मेकाहारा के न्यूरो सर्जरी विभाग में चिकित्सक के पद पर सेवा देने के पश्चात डॉ. गीतेश कुमार अमरोहित अब पूर्णरूपेण छत्तीसगढ़ी भाषा व्याकरण एवं साहित्य का लेखन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य में उनकी अब तक पच्चीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

सीजीपीएससी एवं राज्य स्तरीय विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के पुस्तकों के वे प्रमाणिक एवं विश्वसनीय लेखक हैं। डॉ. अमरोहित ने बच्चों के लिए छत्तीसगढ़ी पहाड़ा एवं चार्ट की भी रचना की है, जिसे राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने काफी सराहा था। डॉ. गीतेश अमरोहित की लिखी चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकें विदेशों में भी काफी लोकप्रिय हैं। छत्तीसगढ़ शासन के छत्तीसगढ़ी भाषा मानकीकरण समिति के डॉ. अमरोहित सदस्य हैं। 

पानी में भिंगोकर रखने से बढ़ जाती है आयरन की मात्रा
एक शोध के अनुसार 100 ग्राम चांवल में 3.4 मिलीग्राम आयरन होता है। अगर इसे 12 घंटे के लिए पानी में भिंगोकर रखा जाए तो आयरन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जो शरीर के लिए लाभदायक होता है। इसमें सोडियम के अलावा, पोटेशियम, कैल्शियम होता है। इसे पचाना भी आसान होता है। शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखने के बासी भरपूर मदद करता है, क्योंकि व्यक्ति बासी के साथ-साथ पसिया भी पीते जाता है। 

बासी और बोरे बासी अलग-अलग डिश है
पके चांवल को माड़ और पानी के साथ रात को भिंगों कर रख दिया जाता है और सुबह इसका सेवन किया जाता है, इसे बासी कहते हैं। वहीं पके चांवल को तुरंत पानी डालकर या सुबह के पके चांवल को पानी में भिंगोंकर दोपहर में खाया जाता है, इसे बोरे बासी कहते हैं। बासी को प्याज, लाई बरी, बिजौरी, बुहार भाजी, नूनचरा, अरकसा, खिचिया, करौरी, नूनचारा के साथ खाया जाता है।

पुस्तक की रोचक बातें
पुस्तक के अंत में बासी से संबंधित शब्दावली भी दी गई है।
फिल्मों में बासी के महत्व पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। छत्तीसढ़ी फिल्में बासी के बिना अधूरी रहती हैं। सामान्यत: इन फिल्मों के गानों का फिल्मांकन बासी के साथ ही किया जाता है। 
महासमुंद जिले में पालकों और बच्चों ने अपने स्कूल की कुछ मांगों को लेकर बासी खाकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रदर्शन किया था। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी खेत में हल चलाकर और बासी खाकर प्रदर्शन किया था, कुछ ऐसी बातों का भी जिक्र है। 
बासी का उपयोग छत्तीसगढ़ के मोटे रोटी अंगाकर में भी उपयोग होता है।

न्यूज़ सोर्स : बोरे बासी दिवस पर विशेष डॉ. अमरोहित ने लिखी बासी पर किताब