मुख्यमंत्री जिसने कभी रुकना नहीं सीखा
भोपाल। भारत की एकमात्र नदी नर्मदा मैया है जिसकी परिक्रमा की जाती है। इसके प्रति श्रद्धा आस्था और जन- विश्वास हम देखते हैं। इसी नर्मदा मैया के किनारे स्थित जैत ग्राम में जन्में शिवराज सिंह चौहान किशोरावस्था से नेतृत्व क्षमता के धनी रहे। उन्होंने श्रमिकों को ढाई पाई मजदूरी दिलवाने के लिए संघर्ष किया। अपने सगे चाचा के क्रोध का शिकार भी हुए लेकिन कर्त्तव्य पथ से विचलित नहीं हुए। विद्यार्थी परिषद भारतीय जनता युवा मोर्चा और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी संगठन को अमूल्य सेवाएँ देते हुए आपने विधायक सांसद और मुख्यमंत्री पद की सभी पारियाँ शानदार तरीके से खेली हैं।
वर्ष 2022 बीत रहा है। वर्ष 2023 के आगमन की इस बेला में हम पिछली उपलब्धियों पर नजर डालें तो मुख्यमंत्री चौहान के सभी कार्य-काल अनूठे पाएंगे। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह उन्होंने कोरोना महामारी की चुनौती का पूरी नेतृत्व क्षमता के साथ मुकाबला किया वह बेमिसाल है। चाहे विद्यार्थी हो अथवा किसान जनजातीय वर्ग के भाई हो या श्रमिक उनके खातों में वे योजनाओं की राशि पहुँचाते रहे। जब-जब लॉक डाउन की स्थिति आई आम जनता से जुड़ाव बनाए रखा। उन्होंने प्रदेश के जिले ग्राम शहरों की खोज-खबर ली। शिवराज जी ने मोहल्लों के नाम भी याद कर लिए थे। जहाँ ज्यादा संक्रमण होता वहाँ विशेष नजर रखते सभी जरूरी प्रबंध करवाते।
अंततः कोरोना नियंत्रित हुआ। मध्यप्रदेश में अधिक नुकसान नहीं होने दिया गया। देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बखूबी कमान संभाली। अब आने वाला वर्ष विकास की चुनौतियाँ लेकर आया है। जहाँ मध्यप्रदेश देश में धार्मिक आध्यात्मिक पर्यटन का नया केंद्र बन रहा है वहीं उद्योगों की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसका सीधा लाभ अर्थ-व्यवस्था को मिलेगा। बेरोजगारी कम होगी। हर हाथ को काम चाहिए लेकिन सरकारी क्षेत्र से इसकी पूर्ति पूरी तरह संभव नहीं। प्रदेश में जहाँ एक लाख से अधिक सरकारी पदों पर भर्ती की जा रही है वहीं नई औद्योगिक इकाइयाँ योग्य युवाओं को सेवा का अवसर देने का कार्य करेंगी।
मध्यप्रदेश में अनेक क्षेत्रों में उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। स्वच्छता सुशासन और स्ट्रीट वेंडर्स के कल्याण के कार्य में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। सांख्यिकी आयोग बनाने वाले चंद राज्यों में मध्यप्रदेश न सिर्फ शामिल है बल्कि इस क्षेत्र में नेतृत्व कर्ता भी बना है। आंकड़ों के उपयोग से योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन में मदद मिलती है। मध्यप्रदेश सरकार ने आत्म-निर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में अधिक से अधिक योगदान देने का निश्चय किया है। जिस तरह शिवराज जी कार्य कर रहे हैं वे अन्य प्रांतों के लिए आदर्श के रूप में उभर कर आए हैं। मध्यप्रदेश में कृषि शिक्षा सिंचाई पेयजल सड़क परिवहन विद्युत प्रदाय के हालात बहुत अच्छे हुए हैं। आम जनता को नागरिक सेवाएँ मिल रही हैं। इसलिए मध्यप्रदेश सबका दिल जीत रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि प्रदेश को एक या दो नहीं अनेक क्षेत्रों में अग्रणी बनाना है। विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य करके मध्यप्रदेश आदर्श राज्य बने। मुख्यमंत्री चौहान ने इसलिए यह निर्णय लिया है कि योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सभी जिलों में सीएम फैलो संबद्ध किए जायें। सुशासन के क्षेत्र में प्रशिक्षण गतिविधियों को सुव्यवस्थित रुप से संचालित करने के लिए मिशन कर्मयोगी योजना भारत सरकार का महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री चौहान का संकल्प है कि म.प्र. इसके क्रियान्वयन में आगे रहेगा। इसी तरह जिलों में प्रभारी मंत्रियों के साथ अब रिसर्चर संलग्न करने पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश में हाल ही में विज्ञान नीति घोषित हुई है और युवा नीति भी नव वर्ष 2023 के पहले महीने में ही घोषित हो रही है। इसके पश्चात नई सहकारिता नीति भी लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री चौहान का विश्वास है कि बेहतर समन्वय और सम्पर्क से मंत्री और अधिकारी मिलकर योजनाओं के अधिक अच्छे परिणाम लाएंगे। आजादी के अमृत काल में आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए वैसे काफी प्रयास हुए हैं। आम जनता को योजनाओं के क्रियान्वयन का बेहतर लाभ दिलवाने के लिए सुशासन के अनेक उपाय मध्यप्रदेश में अमल में लाए गए हैं।
हाल ही में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार भारत सरकार के केपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के साथ करारनामा भी करेगी। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम पर फोकस किया जाएगा। मध्यप्रदेश शासकीय क्षेत्र में मानव संसाधन का आकलन कर उनकी कार्यदक्षता बढ़ाने के लिए कार्य करेगा।
मुख्यमंत्री चौहान प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के अनुरूप जनजातीय वर्ग को सशक्त बनाना चाहते हैं। उन्होंने इसका दृढ़ संकल्प 15 नवंबर 2021 को भोपाल के जंबूरी मैदान में जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से अभिव्यक्त किया। इस सिलसिले में प्रदेश में लागू किये गये पेसा अधिनियम से मध्यप्रदेश के जनजातीय भाई-बहनों को जंगल जमीन और जल पर अधिकार और उनकी संस्कृति और परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाये रखने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
आने वाले वर्ष में फ्लोटिंग सोलर प्लांट के माध्यम से ओंकारेश्वर में बांध के ऊपर सोलर पैनल बिछा कर सौर ऊर्जा उत्पन्न की जायेगी। इससे जमीन भी बचेगी और पानी का वाष्पीकरण भी कम होगा। प्रदेश के 53 हजार किसान प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक हुए हैं। यह क्रांतिकारी कदम है। सीएम राइज विद्यालय एक अनूठा प्रयत्न है। शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार आ रहा है। हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया है। मध्यप्रदेश अनेक क्षेत्रों में अभिनव कार्य कर बेहतर परिणाम सामने लाएगा।
मध्यप्रदेश में विभिन्न वर्गों के कल्याण के लिए अनेक पंचायतें मुख्यमंत्री निवास में संपन्न हुई हैं। यह क्रम अभी भी जारी है। बीते वर्ष मछुआरों और किसानों के लिए विचार विमर्श के सत्र हुए। पंचायतों और वैचारिक सत्रों के पश्चात विभिन्न वर्गों के कल्याण के फैसले लिए जाते रहे हैं। युवाओं के लिए रविंद्र भवन में यूथ पंचायत की गई। इस कार्यक्रम का ही परिणाम नई युवा नीति के रूप में सामने आएगा। युवाओं के विचारों के आधार पर नीति का निर्माण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री चौहान मध्यप्रदेश को नई पहचान देने में सफल हुए हैं लेकिन वे उस पथ के राही हैं जो बिना थके अपने प्रयासों को जारी रखता है एक जिद और जुनून के साथ विकास के नए-नए आयामों को स्पर्श करना चाहता है।