शिक्षक की अनोखी पहल- प्राचीन संस्कृति को बचाए रखने लिख रहे हैं किताब, अब तक प्रकाशित हो चुकी है 19 किताबें
छत्तीसगढ़ राज्य के जिले राजनांदगांव की एक छोटी सी तहसील छुईखदान से अपने शिक्षक कैरियर की शुरुआत करते हुए कन्या महाविद्यालय डोंगरगढ़ से प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए श्री आदित्य कुमार बख्शी ऐसे शिक्षक हैं जिनके पढाये, हुए कितने ही विद्यार्थी उच्च पदों पर कार्य करके अपनी सेवा दे रहे हैं .
श्री आदित्य कुमार बख्शी ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा के क्षेत्र को समर्पित कर दिया .
श्री आदित्य कुमार बख्शी गणित और भौतिकी जैसे कठिन विषयों के शिक्षक रहे हैं ऐसे कठिन विषयों को पढ़ाने के लिए केवल पुस्तकों को ही ज्ञान का स्रोत नहीं बनाते थे वह हमेशा अपने बच्चों को इन विषयों को प्रैक्टिकल तरीके से समझाते थे ताकि बच्चों को ऐसे विषय कठिन ना लगे.
अपने शैक्षणिक कार्य के दौरान उन्होंने बच्चों को गणित और भौतिकी जैसे कठिन विषयों को ही नहीं पढ़ाया पाया बल्कि साथ ही साथ उन्होंने अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा भी दी.
श्री आदित्य कुमार बख्शी के द्वारा अब तक 19 शिक्षा वर्धक की पुस्तकें लिखे जा चुके हैं अभी हाल ही में उनसे बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि अब वे उनकी बीसवीं किताब लिख रहे हैं जिसमें वे छत्तीसगढ़ के प्राचीन वाद्य यंत्रों के विषय में लिख रहे हैं उनका कहना है कि हमारी नई पीढ़ी प्राचीन वाद्य यंत्रों को भूलती जा रही है अतः उनके संज्ञान में लाने के लिए वे यह किताब लिख रहे हैं यह किताब प्रकाशित होगी उनकी सभी किताबें ना केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि साथ ही साथ आसपास के राज्यों मध्य प्रदेश राजस्थान के साथ-साथ हरियाणा महाराष्ट्र मैं भी उतनी ही पसंद से पढ़े जाते हैं
उनके द्वारा लिखी गई सभी पुस्तकें ना केवल आमजन के लिए ज्ञानवर्धक है बल्कि साथ ही साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभदायक है
इनके द्वारा लिखी गई किताबों की सूची 📝
अब तक प्रकाशित पुस्तकें
1)विश्व प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक
2)भारतीय वैज्ञानिक
3)भारतीय वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ
4)अंको का जादू एवं जादुई गणित 5)महापुरुषों की जीवन भाग 1 6)महापुरुषों की जीवन भाग दो 7)महापुरुषों का जीवन भाग तीन 8)महापुरुषों का जीवन प्रथम सोपान 9)महापुरुषों का जीवन सोपान 10)महापुरुष प्रेरणा स्रोत
11)महापुरुष प्रेरणा स्रोत पुस्तकालय संस्करण
12)भारतीय वीरांगना
13)सामान्य ज्ञान छत्तीसगढ़
14) स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छत्तीसगढ़
15)छत्तीसगढ़ के साहित्यकार
16)वर्ल्ड फेम ग्रेट साइंटिस्ट
17)इंडियन साइंटिस्ट एंड मैथमेटिशियन
18)मैजिकल कैलेंडर एंड नंबर्स मैजिक
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हमने उनके कुछ विद्यार्थियों से चर्चा की आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा अपने गुरु के विषय में
Student - Mrs Meera Varma
मेरा नाम श्रीमती मीरा वर्मा है मैं शिक्षिका के पद पर कार्यरत हूं मेरे लिए यह सौभाग्य का विषय है कि मुझे अपने आदरणीय गुरु बख्शी सर के बारे में अपना अनुभव बताने का अवसर मिला बात सन 1994 की है जब मैं शासकीय कन्या उत्तर माध्यमिक विद्यालय डोंगरगढ़ में कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा थी बक्शी सर भौतिकी विषय पढ़ाते थे सर इतने अच्छे से समझाते थे कि सभी छात्राओं को आसानी से समझ में आ जाता था भौतिकी विषय में उनकी बहुत अच्छी पकड़ थी वह मेरे गुरु के साथ-साथ पिता स्वरूप भी रहे सर बहुत ही सरल स्वभाव के मृदुभाषी स्वभाव के धनी हैं 11वीं कक्षा में पढ़ते हुए मैंने उनको अपना आदर्श बनाया और आज मैं भी एक शिक्षिका हूं उन्होंने सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं दीया बल्कि जीवन जीने का तरीका भी सिखाया शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह होते हैं और स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देते हैं यह वाक्य बक्शी सर के लिए चरितार्थ होता है धन्य हो गया मेरा जीवन बन गए मेरे गुरु जो आप सर को कोटि-कोटि नमन.
Student - Harneet Kour Bhatiya
अपने गुरु के लिए लिखना शायद सबसे कठिन होता है। सर जितने सरल व सहज दिखते हैं उनके पढ़ाने का ढंग भी उतना सरल था , गणित तो इतने अच्छे से समझाते कि हमे गर्व होता कि हम उनके विद्यार्थी है। हम सभी लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते। सर आप हमेशा स्वस्थ रहे यही शुभकामना
🙏🙏 - हरनीत कौर भाटिया
डोंगरगढ़