शिवराज ने की घोषणा अब डाटा भी आइल-सोने की तरह मूल्यवान
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में नवाचार कोष बनाया जाएगा। ये कोष नवाचार प्रोत्साहन के काम करेगा। अभी मध्यप्रदेश की पहचान कृषि प्रधान के नाते हैं, लेकिन ये चाहता हूं कि तकनीकी प्रधान के रूप में भी जाना जाए। हम इसके लिए फंड बनाने का तय किया है। डाटा अब आइल और सोने की तरह ही मूल्यवान है। डाटा शेयरिंग, उसकी सुरक्षा, प्रोटोकॉल सहित अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर काम करेंगे।
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शिवराज ने यह बात सोमवार को एमएसएमई विभाग की नवाचार नीति की लांचिंग के मौके पर कही। यहां शिवराज ने कहा कि प्रदेश में नवाचार को बढ़ाने के हर स्तर पर प्रयास होंगे। भविष्य के विकसित मध्यप्रदेश के लिए हम वर्चुअल नेट क्रिएटिविटी और परंपरागत संस्कृति का तकनीकी दस्तावेजीकरण पर काम करेंगे। इसके साथ ही विज्ञान के लोकव्यापीकरण पर काम करेंगे। कोडिंग लैब और क्यूरेसिटी लैब पर काम करेंगे। भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रभावी उपयोग करेंगे। शिवराज ने कहा कि विज्ञान हमारे लिए नया नहीं है। हमारा विज्ञान प्राचीन दृष्टि से समृद्ध है। काल गणना का केंद्र उज्जैन है। खगोल विज्ञान में सूर्य-ग्रहण की सटीक भविष्यवाणी है। भारतीय कैलेंडर पाश्चात्य कैलेंडर से ज्यादा सटीक है। जनजातीय क्षेत्र में नाड़ी देखकर जड़ी-बूटी की दवाई बता देते। ये भी विज्ञान है। इसका भी प्रचार-प्रसार करेंगे।
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3 अहम सूत्र -
शिवराज ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म एक-दूसरे को काटते नहीं, एक दूसरे को सहयोग करते हैं। हम प्रदेश में नवाचार को बढ़ावा देने तीन सूत्र पर काम करेंगे। पहला, विज्ञान। इसमें वैज्ञानिक सोच और समझ को दैनिक जीवन का अंग बनाए। दूसरा उद्योनिकी, इसमें आधुनिक तकनीकों का उपयोग हो। तीसरा नवाचार, इसमें नया सोचने, नया सीखने और नई पहल करने वाली पीढ़ी का निर्माण करना।
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जिज्ञासा ही नवाचार की सीढी-
शिवराज ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि मैं सांसद था। सुंदरलाल पटवा एक बार मेरे घर पर आए। बेटा कार्तिकेय छोटा था, टीवी देख रहा था तो पटवा बोलते देख रहे थे। थोड़ी देर बाद पटवा घर आ गए, तो बोले कि ये तो बताओ कि ये पटवा टीवी में कैसे घुसे थे। ये जिज्ञासा थी। ये जिज्ञासा ही नवाचार कराती है। नवाचार पर बच्चों का रूझान बढ़े इस पर हम काम करेंगे। कार्यक्रम में एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा व एमएसएमई प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव, नीति आयोग सदस्य विजय सारस्वत, सुशासन संस्थान उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी, वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।