प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संवेदनशीलता के समानार्थी है यह कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति  नही होगी, भले ही विपक्षी राजनीति के चलते उनका विरोध करें लेकिन मन ही मन तो वो भी मानते हैं कि शिवराज कोई यूं ही नहीं बन जाता।

यह कोई पहला मौका नहीं है जब शिवराज ने संवेदनशीलता दिखाई हो
हर मौके पर जनता के हर दर्द पर वे सामने खड़े नज़र आते हैं


ऐसा ही एक उदाहरण कल एक बार फिर उत्तराखंड में हुए दुर्घटना के बाद सामने आया जब मुख्यमंत्री शिवराज को जैसे ही पता चला उन्होंने अपने पहले से तय सारे कार्यक्रम को रद्द कर तुरंत ही उत्तराखंड पहुंच गए तत्काल उन्होंने  वहां की व्यवस्था का जायजा लिया और जिस प्रकार से परिवार का मुख्य अपने घर के हर सदस्य का ध्यान रखता है वही भूमिका को दिखाते हुये उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया ,आप सभी को ज्ञात ही है कि उत्तराखंड के दकाटा में कल हृदय विदारक दुर्घटना घटी जिसमें से 26 लोगो की मौत हो गई और चार घायल हो गए घटना की सूचना जैसी ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगी वे तुरंत ही अपनी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंच गए पूरी रात जागकर उन्होंने व्यवस्थाएं देखी और साथही साथ मृतको के परिजनों के साथ संवाद करते रहे उन्हें भारी मन से धीरज बंधाते रहे क्योंकि वे इस दर्द को समझते है कि अपनो को खोना क्या होता है ऐसा तो कोई केवल अपना और परिवार का मुखिया ही करता है।
इतना ही नहीं उन्होंने दुर्घटना में मृत लोगों के लिए 5- 5 लाख की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा भी की साथ ही साथ पार्थिव देह को लाने के लिए भी इंतजाम किए।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब शिवराज ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया हो।
आपदा की हर घड़ी में शिवराज सिंह चौहान अपनी जनता के साथ हमेशा खड़े दिखाई देते हैं

कई ऐसे मौके देखें हमने जब प्रकृति की मांर झेलते किसान के खेत के फसल खराब हो जाते तो शिवराज खेतों में जाकर उनके साथ बैठकर उनसे बात करते और उन्हें सांत्वना देते ।


ऐसे कई उदाहरण है जिनसे यह स्वतः ही सिद्ध हो जाता है कि शिवराज बनना इतना आसान नहीं है सहजता , सरलता और संवेदनशीलता के साक्षात्कार हैं शिवराज।

न्यूज़ सोर्स : संवेदनाशीलता के समानार्थी है शिवराज