भोपाल। अभी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में कैंसर के मरीजों का इलाज कोबाल्ट मशीन से किया जाता है। यह उपचार की पुरानी तकनीक है। इसके स्थान पर लीनियर एक्सीलेटर उपलब्ध कराया जाएगा। प्रदेश में अभी तेरह लीनियर एक्सीलेटर उपकरण उपलब्ध है। इनमें से मात्र एक शासकीय संस्था एम्स में क्रियाशील है। इसकी वजह से मरीजों को उपचार के लिए निजी संस्थानों या राज्य के बाहर जाना पड़ता है, जिससे उन पर अतिरिक्त वित्तीय भार आता है।

इसे देखते हुए तय किया गया है कि भोपाल, इंदौर और रीवा मेडिकल कालेजों से संबद्ध चिकित्सालय में लीनियर एक्सीलेटर की स्थापना निजी जनभागीदारी योजना के तहत की जाएगी। संचालन का काम सेवा प्रदाता द्वारा किया जाएगा। यह प्रस्ताव मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोबाल्ट मशीन से कैंसर ट्यूमर के क्षेत्र से एक-दो सेंटीमीटर अधिक क्षेत्र में रेडिएशन दिया जाता है, जिसके कारण स्वस्थ्य कोशिकाएं भी प्रभावित होती हैं और मरीज को कमजोरी, खून की कमी, सूजन जैसी समस्या होती हैं। कई मरीज इन समस्याओं के कारण इलाज अधूरा छोड़ देते हैं। जबकि, लीनियर एक्सीलेटर कैंसर उपचार के लिए आधुनिक तकनीक का उपकरण है।

इसके द्वारा सिर्फ कैंसरग्रस्त कोशिकाओं पर ही रेडिएशन किया जाना संभव है। इसे देखते हुए मेडिकल कालेजों में संबद्ध अस्पतालों में निजी सहभागीदारी योजना अंतर्गत भोपाल, इंदौर और रीवा में लीनियर एक्सीलेटर की स्थापना की जाएगी। दरअसल, कालेजों में आन्कोलाजी विषय की शिक्षा दी जाती है।

यहां विद्यार्थियों को प्रशिक्षण के लिए अभी निजी केंद्रों में भेजा जाता है। उपकरण खरीदने में 105 करोड़ और संचालन में 146 करोड़ रुपये का व्यय आएगा। इसे देखते हुए प्रस्तावित किया है कि उपकरण खरीदने, संचालन और संधारण का काम सेवा प्रदाता द्वारा किया जाएगा। सुबह आठ से शाम पांच बजे तक सेवा प्रदाता को कालेज द्वारा भेजे गए मरीजों का उपचार करना होगा। इनसे शुल्क न लेकर प्रतिमाह सूची और बिल तैयार करके कालेज को देगा, जो भुगतान करेगा। निजी मरीजों से सेवा प्रदाता शुल्क लेगा।

सेवानिवृत लोकायुक्त-उप लोकायुक्त को मिलेगी परिवार पेंशन

सरकार मध्य प्रदेश लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त नियम 1982 में संशोधन करके सेवानिवृत लोकायुक्त-उप लोकायुक्त को परिवार पेेंशन की सुविधा देगी। उच्च न्यायालय, जबलपुर ने इस संबंध में 2015 निर्देश दिए थे कि लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त की सेवा शर्तें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवा शर्त 1954 के अनुसार होंगी। इसके बाद भी शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया। परिवार पेंशन के संबंध में तीन याचिकाएं न्यायालय में लंबित हैं।

इसके मद्देनजर अब नियम में संशोधन किया जा रहा है। इसके अलावा बालाघाट स्थित वाणिज्यिक कर विभाग की परिसंपत्ति को सात करोड़ 21 लाख रुपये में मेसर्स अभिनव कंस्ट्रक्शन को बेचने की अनुमति देने, पशु नस्ल विकास, रोजगार सृजन, पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने और उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए नवीन पशुधन मिशन का क्रियान्वयन करने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।