वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बैटरी स्वैपिंग यानी बैटरी अदला-बदली नीति लाने की घोषणा की है। देश में बैटरी स्वैपिंग की शुरुआत टू-व्हीलर्स से होगी। ऑटो एक्सपर्ट का कहना है कि बड़ी कार कंपनियां अपनी बैटरी टेक्नोलॉजी साझा करने से बचती हैं। बैटरी स्वैपिंग नीति लागू होने से देश में बैटरी स्टैंडराइजेशन शुरू होगा यानी सभी गाड़ियों में एक ही आकार और क्षमता वाली बैटरियां लगाई जाएंगी। अन्य विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में बैटरी स्वैपिंग के लिए ताइवान का मॉडल अपनाया जा सकता है। ताइवानी कंपनी गोगोरो ने कई देशों में बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए हैं।

बैटरी स्वैपिंग से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा भारत में हीरो मोटोकॉर्प के साथ गोगोरो ने टाई अप किया है। हीरो इलेक्ट्रिक के एमडी नवीन मुंजाल कहते हैं, बैटरी स्वैपिंग और बैटरी स्टैंडराइजेशन की सरकारी पहल से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा। ग्राहकों को लंबी दूरी तय करने में आसानी होगी। देश में बैटरी स्वैपिंग का पहले से बिजनेस कर रही कंपनी बाउंस इनफिनिटी के सीईओ विवेकानंद हाल्लेकेरे ने कहा कि उनकी कंपनी सालभर में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 30 शहरों में एक किमी के दायरे में स्वैपिंग स्टेशन लगाएगी।
एक पॉड या एटीएम जैसी ऑटोमेटेड यूनिट होगी, जिसमें छह चार्ज बैटरियां रखी होंगी। उन्हें किसी स्टोर से अटैच किया जाएगा या स्वतंत्र रूप से स्थापित किया जाएगा। ये 24 घंटे खुले रहेंगे। बैटरी स्वैपिंग के लिए एक मासिक सदस्यता शुल्क होगा जो लगभग 650-700 मासिक होगा। इसके अलावा हर बार चार्ज बैटरी लेने पर 35 रुपए देने होंगे। फुल चार्ज बैटरी से औसतन 60-70 किमी तक का एवरेज मिलता है।