नई दिल्ली । आटा मिलों के संगठन आरएफएमएफआई ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के मोदी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे घरेलू आपूर्ति को लेकर बाजार में ‘अनावश्यक घबराहट’ को रोकने के साथ ही किसी तरह की मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफएमएफआई) के अध्यक्ष अंजनी अग्रवाल ने कहा कि संगठन ने गेहूं निर्यात के नियमन के बारे में मोदी सरकार से अनुरोध किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति में सरकार द्वारा लिया गया यह एक बहुत अच्छा निर्णय है। इससे देश में गेहूं की आपूर्ति और कीमतों के बारे में अनावश्यक घबराहट पर लगाम लगेगी। उन्होंने कहा कि जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं का उत्पादन घटकर 9.5-9.8 करोड़ टन तक रहने की संभावना है।
अग्रवाल ने कहा, अगर गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाता, तब देश को कुछ महीनों के बाद गेहूं का आयात करना पड़ता। उन्होंने कहा कि निर्यात पर रोक लगने के बाद गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतें अभी स्थिर रहेंगी। आटा (खुदरा) की कीमतें 26-28 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रही हैं, जबकि पैकेज्ड आटे की कीमतें 28-30 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। उन्होंने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, आटा की कीमतें 40 रुपये प्रति किलो या इससे भी ज्यादा हो सकती थीं। लेकिन अब इसकी कीमतें स्थिर होंगी।’’
एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, भारत ने बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को अधिसूचना में कहा, 'गेहूं की निर्यात नीति पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है।' हालांकि महानिदेशालय ने कहा कि इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए निर्यात की खेप की अनुमति रहेगी। मोदी सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है, जो अनुमान पहले 11 करोड़ 13.2 लाख टन का लगाया गया था। अनुमान घटाने का कारण तय समय से पहले गर्मी की शुरुआत होने से गेहूं की फसल उत्पादकता का प्रभावित होना है।
गर्मियों में भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में 10 करोड़ 95.9 लाख टन रहा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति के कारण बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए भारत इस वित्तवर्ष में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करना चाहता है।