भोपाल । समूचे मध्यप्रदेश में भरपूर बारिश होने से बरगी, इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, गांधी सागर सहित आठ बांध लबालब की स्थिति में आ गए हैं। इससे यहां पानी से बनने वाली यानी पनबिजली भरपूर पैदा हो रही है। इसी कारण प्रदेश में रोज 7 रैक कोयला बिजली बनाने में कम लग रहा है। प्रदेश में औसत बिजली की मांग 10 से 11 हजार मेगावाट रहती है। बिजली की मांग अलग-अलग सीजन व खपत के अनुसार हर मौसम में कम-ज्यादा होती रहती है। प्रदेश में अधिकतम बिजली मांग 16 हजार मेगावाट और न्यूनतम मांग लगभग साढ़े 8 हजार  मेगावाट रहती है, जिसमें कृषि की मांग भी शामिल हैं,  लेकिन इन दिनों बारिश ज्यादा होने से कृषि की मांग शून्य स्तर पर आ गई है। साथ ही औद्योगिक मांग में भी कमी आई है।  घरेलू बिजली की मांग भी मई-जून की तुलना में 20 फ़ीसदी कम हुई है। इसके कारण भी कोयले से बिजली की आवश्यकता घटी है और बांधों के पानी से ही आधे मध्यप्रदेश को रोशन करने जितनी बिजली बन रही है।

25 रैक रोजाना रोजाना कोयले की खपत
बिजली की खपत प्रदेश में सर्वाधिक स्तर पर पहुंचती है उस समय रोजाना तकरीबन 25 रेक( मालगाड़ी) कोयला लगता है यही मांग न्यूनतम स्तर पर होने पर 12 से 15 मालगाड़ी लगती है, लेकिन वर्तमान में बिजली बांध के लबालब होने से ज्यादा मात्रा में बिजली उत्पादित हो रही है इसलिए कोयले से बिजली न्यूनतम बन रही है।