भोपाल । मध्यप्रदेश के बांध पानी से लबालब भरे हैं लेकिन बिजली का उत्पादन ठप पडा हुआ है। संयंत्र के बंद होने से राज्य सरकार को करोडों रुपए का नुकसान हो रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 315 मेगावाट क्षमता वाले टोंस हाईडल प्रोजेक्ट की 315 मेगावाट की तीनों इकाइयां बंद हैं। 13 जुलाई को 105 मेगावाट की तीन नंबर इकाई को 750 दिन बंद रहने के बाद प्रारंभ किया गया था लेकिन अब तीनों यूनिटें बंद हैं। बांध भरे होने के बाद भी दो वर्षों से इसमें उत्पादन नहीं हो रहा है। यहां मात्र 25 पैसे प्रति यूनिट खर्च पर बिजली उत्पादन होता है। उत्पादन बंद होने से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। इसको लेकर ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने नाराज हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश पावर जनरेशन कंपनी के प्रबंध संचालक मंजीत सिंह को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है।टोंस हाइडल प्रोजेक्ट सिरमौर जिला रीवा की तीन नंबर यूनिट को नए सिरे से सुधारने में फिर लंबा समय लगेगा। यहां एक नंबर यूनिट भी 5 जनवरी 2022 से रोटर खराब होने से बंद पड़ी है। इस वजह से अब रबी सीजन में यहां से बिजली उत्पादन की कोई उम्मीद नहीं है। टोंस हाइडल प्रोजेक्ट की 105 मेगावाट की तीन नंबर इकाई अभी बंद होने से पहले 750 दिन बंद रह चुकी है। पिछले महीनं ही 13 जुलाई को ही इसे शुरू किया गया था।यह इकाई प्रतिदिन 25 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन कर सकती है लेकिन बांध भरे होने के बाद भी दो वर्ष से उत्पादन नहीं हो रहा है। मात्र 25 पैसे प्रति यूनिट खर्च पर इससे बिजली उत्पादन होता है। एक अनुमान के अनुसार इकाई खराब होने से अब तक लगभग पांच सौ करोड़ रुपये का विद्युत उत्पादन में नुकसान हुआ है। इसी संयंत्र की 105 मेगावाट वाली दो नंबर इकाई पांच जनवरी 2022 से बंद है। उधर गांधी सागर जल विद्युत केंद्र की यूनिट 115 मेगावाट की इकाई 14 सितंबर 2019 से पानी भर जाने के कारण खराब हो हो गई थी ,जो आज तक बंद है। सुधार अब तक नहीं हुआ और वहां आज भी बिजली उत्पादन शून्य है। पेंच हाइडल पावर स्टेशन में 80 मेगावाट की दो इकाई लगी हैं। यहां एक नंबर इकाई 20 जुलाई 2022से 22 सितंबर 2022 तक के लिए एनुअल ओवरहालिंग के नाम पर बंद की गई है जबकि बरसात में सस्ती बिजली बननी चाहिए। इस बारे में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं कि टोंस संयंत्र के बारे में पड़ताल कर एक रिपोर्ट तैयार करें। कौन इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार है। सुधार कार्य में एजेंसी ने लापवाही की होगी तो उनसे ही बिना खर्च यूनिट सुधारने के लिए कहा जाएगा।