वॉशिंगटन । इंसानों द्वारा ग्राउंडवॉटर की बेतहाशा पंपिंग से पृथ्‍वी दो दशकों से भी कम वक्‍त में 4.36 सेंटीमीटर/प्रतिवर्ष की स्‍पीड से लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार जलवायु मॉडल के आधार पर, वैज्ञानिकों ने पहले अनुमान लगाया था कि 1993 से 2010 तक मनुष्यों ने 2,150 गीगाटन भूजल पंप किया था। 
जो समुद्र के स्तर में 6 मिलीमीटर (0.24 इंच) से अधिक वृद्धि के बराबर था। लेकिन इस अनुमान की पुष्टि करना कठिन है। शोध में यह भी सामने आया है कि ज्‍यादातर ग्राउंट वॉटर दुनिया के दो क्षेत्रों- अमेरिका के पश्चिमी इलाके और उत्तर-‍पश्चिमी भारत में इस्‍तेमाल किया गया है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले और सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के एक भूभौतिकीविद् वेन सेओ का कहना है कि भूजल के रिडिस्ट्रिब्‍यूशन से रोटेशनल पोल के बहाव पर सबसे ज्‍यादा असर होता है। 
मालूम हो कि भारत में पंजाब और हरियाणा के इलाकों में खेती के लिए बड़े पैमाने पर भूजल का उपयोग बीते कई सालों से किया जा रहा है। शोधकर्ता मानते हैं कि पानी को एक जगह से निकालकर अमूमन नदियों और समुद्रों में ही बहाया जा रहा है।वेन सेओ ने आगे कहा कि पृथ्वी का घूर्णन ध्रुव वास्तव में बहुत बदलता है। हमारे अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु से संबंधित कारणों में, भूजल का पुनर्वितरण वास्तव में घूर्णी ध्रुव के बहाव पर सबसे बड़ा प्रभाव डालता है। भूजल का स्थान इस बात के लिए मायने रखता है कि यह ध्रुवीय बहाव को कितना बदल सकता है। मध्य अक्षांश से जल के पुनर्वितरण का घूर्णी ध्रुव पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। 
वेन सेओ ने कहा कि देशों द्वारा भूजल की कमी दर को धीमा करने का प्रयास, विशेष रूप से उन संवेदनशील क्षेत्रों में, सैद्धांतिक रूप से बहाव में परिवर्तन को बदल सकता है। लेकिन केवल तभी जब इस तरह के संरक्षण का दृष्टिकोण दशकों तक बना रहता है। बता दें कि दुनिया में पानी एक ऐसी जरूरी चीज है कि उसके बिना पृथ्वी पर जीवन सोचा ही नहीं जा सकता है। पूरी दुनिया जमीन से पानी निकालकर अपनी प्यास मिटा रही है और जरूरत पूरी कर रही है। लेकिन हमने धरती से इतना पानी निकाल लिया है कि पृथ्वी की हालत खराब हो गई है।