मुंबई । शिवसेना के उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट ने कहा कि महज ‘शरिया का विरोध ही समान नागरिक संहिता  का आधार नहीं हो सकता. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना  ने इस बात पर भी जोर दिया कि यूसीसी का अर्थ कानून एवं न्याय की दृष्टि में सभी के लिए समानता भी है. शरिया, कुरान की शिक्षाओं तथा पैगंबर मोहम्मद के उपदेशों पर आधारित इस्लामिक धार्मिक कानून है, जिसका मुस्लिम समाज के लोग पालन करते हैं.
शिवसेना  के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 40 विधायकों को अयोग्य घोषित करके समान कानून का सम्मान करना चाहिए. एकनाथ शिंदे सरकार के शहरी विकास विभाग ने भिवंडी निजामपुर सिटी नगर निगम  के 18 पूर्व पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई की है.
इस सप्ताह की शुरुआत में बीएनसीएमसी के 18 पूर्व कांग्रेस पार्षदों को 2019 में पार्टी सचेतक के व्हिप की अवहेलना करने और अपनी पार्टी के आधिकारिक महापौर पद के प्रत्याशी के खिलाफ मतदान करने के आरोप में अगले छह वर्ष के लिए कोई भी चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
सामना के संपादकीय में कहा गया है, ‘‘केवल मुसलमानों के शरिया कानून का विरोध करना समान नागरिक संहिता का आधार नहीं हो सकता. कानून एवं न्याय की दृष्टि में सभी के लिए समानता भी समान नागरिक संहिता का हिस्सा है.
संपादकीय में कहा गया है कि अगर ‘‘सत्तारूढ़ दल से जुड़े भ्रष्ट लोगों, मंत्रियों तथा कारोबारियों को सुरक्षा दी जाए एवं विपक्षी दलों के नेताओं को भ्रष्टाचार-रोधी कानूनों के तहत आरोपित किया जाए, तो यह किस प्रकार का कानून है.
शिवसेना (यूबीटी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के पुनर्निर्माण में कथित अनियमितता मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से जांच कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर भी प्रश्न उठाया.
संपादकीय में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का प्रत्यक्ष जिक्र करते हुए कहा गया है कि महाराष्ट्र के ‘‘मालिकों ने दो-चार आधिकरिक बंगले रखे हैं और फिजूलखर्ची को बढ़ावा दिया है. इसमें कहा गया है कि इस मामले में भी समान कानून होना चाहिए.