कैलिफोर्निया । वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर पृथ्वी की सतह का दो फीसद हिस्सा भी सफेद रंग से रंग दिया जाए तो उससे ग्लोबल वार्मिंग काफी कम हो जाएगी। जिस तेजी से इन दिनों पृथ्वी और ज्यादा गर्म होती जा रही है, दुनिया के तापमान कम करने के कृत्रिम उपायों पर भी जोरों से मंथन चल रहा है। इनमें समतापमंडल में एरोसोल छोड़ने का एक उपाय भी शामिल है जिससे बने बादल सूर्य से आने वाली रोशनी को रोक सकें। लेकिन वर्तमान अध्ययन में दो साल पहले हुए एक शोध की मदद ली जिसमें वैज्ञानिकों एक खास पेंट विकसित किया था।2021 में पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऐलान किया था कि उन्होंने ऐसा पेंट विकसित किया है जो दुनिया का अब तक का सबसे सफेद पेंट है। इसकी सफेदी प्रकाश 98 फीसद तक प्रतिबिम्बित कर सकती है। 
इस ऐलान से पर्यावरणविदों और जलवायु संरक्षणकर्ताओं में एक उम्मीद बनी थी इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव खास तौर से ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में मदद मिलेगी। उस समय कई विशेषज्ञों ने यह माना था कि अगर इस तरह के पेंट का छत पर उपयोग किया जाए तो उससे गर्मी के दिनों मे छत गर्म नहीं होगी और इससे वातानुकूलित यंत्रों का उपयोग कम होने से ग्लोबलवार्मिंग को रोकने में भारी कमी हो सकती है। लेकिन लेकिन इससे केवल यही फायदा ही नहीं होगा बल्कि इसका इससे भी बड़ा उपयोग है।पृथ्वी की सतह पर प्रकाश का अवशोषण ही पृथ्वी को अधिक गर्म कर रहा है। और इसमें  जरा सी भी कमी पृथ्वी का तापमान कम करने में प्रभावी तौर पर मदद कर सकती है।
 नए अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि इस पेंट का इमारतों पर उपयोग किया गया तो इससे सतह का तापमान कम हो सकेगा क्योंकि इससे एयर कंडीशनिंग की जरूरत ही कम हो जाएगी। केवल  प्रकाश के ज्यादा प्रतिबिम्बित होने से फायदा देखने को मिलेगा। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल और कम्प्यूटर इंजीनियारिंग के प्रोफेसर और स्वच्छ तकनीकों पर काम करने वाले जेरेमी मुंडे के मुताबिक अगर पर्ड्यू पेंट से दुनिया के एक से 2 फीसद सतह को भी पेंट कर दिया जाए तो उससे प्रकाश के प्रतिबिम्बित होने वाली मात्रा में कमी  ग्रह के द्वारा अवशोषित प्रकाश की मात्रा में खासी कमी कर देगी और इससे वैश्विक तापमान को बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी। इस तरह से जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद मिलेगी और जैसा कि मुंडे बताते हैं कि इससे पृथ्वी और अंतरिक्ष किसी को भी नुकसान भी नहीं होगा।
 यह समुद्र में एक कप पानी डालने जैसा ही होगा। पृथ्वी की सतह का क्षेत्रफल 317 करोड़ वर्ग किलोमीटर है। और दो फीसद 32.2 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र होगा जो करीब भारत के क्षेत्रफल से कुछ रही कम होगा। इतना बड़ा क्षेत्र एक साथ पेंट करना व्यवहारिक नहीं होगा। लेकिन दुनिया के तमाम शहरों के घरों और इमारतों की छत अगर ऐसे पोती जाए जो सूर्य का सामना करती हैं। तो हम शायद उम्मीद कर सकें कि चीजों का सफेद रंग कर गर्मी करना नई धारणा नहीं है। सफेद कारों की लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि वे गर्मी में कम गर्म होती हैं। 
ऐसे में पर्ड्यू पेंट का उपयोग और कारगर होगा। यूं तो ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए सबसे कारगर उपाय तेजी से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना ही है क्योंकि यही गैसें, जितनी ऊष्मा पृथ्वी से बाहर जानी चाहिए, उसे अवशोषित कर पृथ्वी के निचले वायुमंडल ही रोककर पृथ्वी का तापमान बढ़ा रही हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन गैसों की मात्रा बेतहाशा वृद्धि के लिए मानवीय गतिविधियों प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं, लेकिन तापमान में वृद्धि तेज होती जा रही है।