नई दिल्ली  । संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हुई था, लेकिन इक्का-दुक्का बिल को छोड़ दें, तो अब तक कोई काम नहीं हुआ है। मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है। सोमवार से संसद सत्र का नया हफ्ता शुरू होने जा रहा है। इस दौरान भरपूर सियासी एक्शन और ड्रामा देखने को मिल सकते है। कारण दो हैं, पहला- दिल्ली अध्यादेश बिल और दूसरा- अविश्वास प्रस्ताव।
केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादेश बिल को संसद के पटल पर लाने और पारित करवाने की पूरी तैयार कर दी है। सोमवार को ही यह बिल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। लोकसभा में इसके पारित होने में कोई परेशानी नहीं है। वहीं ङ्घस्क्र कांग्रेस ने सरकार को समर्थन देकर एक तरह से राज्यसभा की परेशानी भी खत्म कर दी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के यह बहुत बड़ा झटका होने जा रहा है। केजरीवाल ने इस मुद्दे पर राज्य-राज्य घूम कर समर्थन मांगा है। कांग्रेस ने शुरू में पत्ते साफ नहीं किए तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी से उनका पंगा भी हो गया था। देखना रोचक होगा कि क्या कांग्रेस इस मुद्दे पर राज्यसभा में सभी दलों को साथ ला पाएगी या विपक्ष में फूट पड़ जाएगी।
अविश्वास प्रस्ताव पर इसी हफ्ते बहस का फैसला
विपक्ष का दिया अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर ओम बिरला स्वीकार कर चुके हैं। नियमानुसार, स्वीकार किए जाने के 10 दिन के अंदर इस पर चर्चा शुरू हो जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि इस हफ्ते साफ हो जाएगा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कब होगी। यूं तो स्पष्ट रूप से संख्या बल सरकार के साथ है और प्रधानमंत्री को बयान देने के लिए ‘मजबूर’ करने की विपक्ष की ‘जिद’ भी पूरी हो जाएगी, लेकिन बात इतनी सी नहीं है। क्या इस मुद्दे पर भी विपक्ष में फूट पड़ेगी? एनसीपी का क्या होगा?