गुड्स और सर्विस टैक्स सिस्टम को लागू करने का उद्देश्य टैक्स सिस्टम को सुचारु रूप से चलाना। कई लोग टैक्स चोरी करते थे या फिर लोगों से टैक्स के नाम पर ज्यादा राशि लेते थे। ऐसे में इस तरह के फर्जीवाड़ा पर नकेल कसने के लिए जीएसटी बिल लागू किया गया था। वर्तमान में कई छोटे कारोबारी फर्जी जीएसटी बिल देकर अपने ग्राहकों को ठगते हैं। इस प्रकार की ठगी से सावधान रहने के लिए हमें पता होना चाहिए कि असली और फर्जी जीएसटी बिल में क्या अंतर है?

जीएसटी इनवॉयस क्या है?
जीएसटी इनवॉयस एक तरह का बिल होता है। यह बिल सप्लायर द्वारा सामान या फिर सर्विस देने पर दिया जाता है। यह डॉक्यूमेंट होता है कि सप्लायर ने ग्राहक को क्या सामान कितनी राशि में दिया है और उसपर कितना टैक्स लगाया है। इस बिल में सप्लायर का नाम, प्रोडक्ट, प्रोडक्ट की जानकारी, खरीद की तारीख, डिस्काउंट और बाकी जानकारी होती है।

फेक जीएसटी इनवॉयस क्या है?
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार फर्जी जीएसटी बिल या इनवॉयस में सामान की सही जानकारी नही होती है। यह बिल टैक्स चोरी, मनी लॉन्ड्रींग (गबन), फेक बुकिंग के लिये किया जाता है। इसके अलावा इनकम क्रेडिट को कैश करने के लिए भी फर्जी बिल जनरेट किया जाता है। अब ऐसे में सवाल है कि आप असली और फर्जी जीएसटी बिल को कैसे पहचानें?

फेक जीएसटी बिल को कैसे पहचानें
फेक जीएसटी बिल को पहचाने का आसान तरीका है उसका जीएसटी नंबर। जीएसटी बिल पर 15 डिजिट का जीएसटी नंबर होता है। इस नंबके पहले दो डिजिट में स्टेट कोड होता है और बाकी के 10 डिजिट में सप्लायर या दुकानदार का पैन नंबर होता है। वहीं 13वां डिजिट पैन धारक की इकाई होता है और 14वां स्थान पर पर ‘Z’और आखिरी में ‘checksum digit’होता है। आप जीएसटी नंबर के फॉरमेट से भी असली और नकली जीएसटी नंबर की पहचान कर सकते हैं। आप जीएसटी वेबसाइट पर भी जीएसटी बिल को चेक कर सकते हैं। आप वेबसाइट पर जीएसटी दर्ज करें इसके बाद आपको स्क्रीन पर सप्लायर की डिटेल्स शो हो जाएगी।

जीएसटी फ्रॉड के लिए कहां शिकायत करें
अगर आपके पास कभी फेक जीएसटी बिल आ जाता है तो आप जीएसटी के अधिकारिक पोर्टल पर जाकर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा आप cbecmitra.heldesk@icegate.gov.in पर मेल करके शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।