वॉशिंगटन । जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के सेहत पर होने वाले बुरे असर पर तब बहुत सी बातें होती हैं। इस विषय पर तमाम तरह के शोध होते रहते हैं। शायद पहली बार जब वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ते तापमान का बच्चों के पैदा होने से संबंधित समस्याओं से जोड़ा है। इस चौंकाने वाले अध्ययन में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने चेताया है कि चरम तापमान की वजह से प्री टर्म बर्थ यानी अपरिपक्व जन्म को जोखिम बहुत तेजी से बढ़ रहा है। 
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से होने वाले चरम तापमान ने प्रीटर्म बर्थ का औसत इजाफा 60 फीसद तक पहुंच चुका है। इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने 163 वैश्विक सेहत अध्ययनों की समीक्षा की।
अभी दुनिया में 60 करोड़ लोग उन इलाकों में रहते हैं, जहां तापमान इंसान के अस्तित्व के लिए जरूरी आदर्श तापमान से अधिक रहता है। जलवायु परिवर्तन के पूर्वानुमान बताते हैं कि यह संख्या इस सदी के अंत तक करीब 3 अरब तक पहुंचने वाली है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि असामान्य मौसम, सूखे और जंगल की आग जैसी घटनाओं के कारण हवामें अन्य कणों के साथ एलर्जी फैलाने वाले कणों का काफी इजाफा हुआ है। इसका सांस के रोगों के रूप में गहरा असर हुआ है और साथ ही प्री नेटल नतीजे भी प्रभावित हुए हैं। 
ग्लोबल इकोलॉजिस्ट कोरे ब्रैडशॉ का कहना है कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के करोड़ों बच्चों में जीवन भर के लिए सेहत संबंधी समस्याएं पैदा कर रहा है। उन्होंने आंकड़ों को संकुचित कर दर्शाया कि कैसे भविष्य में अलग-अलग तरह के मौसमी घटनाएं जनसंख्याओं में सेहत संबंधी समस्याओं का और खराब कर देगा।