मुंबई । बीजेपी के विस्तारवादी मंसूबों से उसके सहयोगी दलों में घबराहट दिख रही है। न सिर्फ शिवसेना (शिंदे), बल्कि दूसरे छोटे दल भी बीजेपी के मंसूबों को खुद के लिए खतरा मान रहे हैं। इन दलों में बेचैनी दिखाई देने लगी है। बीजेपी के सहयोगी दलों के नेताओं के बयान अभी से बिदकने लगे हैं। शिवसेना शिंदे गुट के विधायकों का टेंशन बढ़ा हुआ है। वहीं बीजेपी के साथ महायुति में शामिल राष्ट्रीय समाज पार्टी के नेता महादेव जानकर तब बीजेपी के मंसूबों को भांप कर नाराज दिख रहे हैं। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि अगर बीजेपी को हमारी जरूरत नहीं है, तब हम अपनी दम पर चुनाव लड़ेगी। बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति में दिख रही इस सतही दरार से बीजेपी के नेता परेशान हैं।
दरअसल जब से बीजेपी के एक अंदरूनी कार्यक्रम में प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले वह बयान वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से राज्य में विधानसभा की 288 सीटों में से 240 सीटें लड़ने की बात कही है, तब से मामला बिगड़ा हुआ है।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का यह बयान बता रहा है, कि आगामी चुनावों में बीजेपी की योजना शिवसेना शिंदे को सिर्फ 40-42 सीटें ही देने वाली है। जबकि अन्य छोटी पार्टियों को चार-छह सीटों में निपटाने की योजना बना रही है। छोटी पार्टियों का यह शक तब और मजबूत हो गया जब बावनकुले के बयान को वायरल होते ही सभी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म से डिलीट कर दिया गया। बावनकुले ने नया बयान दिया कि बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) राज्य में मिलकर चुनाव लड़ेगी। उनके इस ताजा बयान से आरपीआई, आरएसपी और प्रहार जैसी छोटी पार्टियों को लग रहा है कि शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना को तोड़ने के बाद अब शायद ही बीजेपी को उनकी जरूरत होगी। हालांकि शिंदे गुट भी बीजेपी से 125 से 130 सीटें मांगने का दावा कर रहा है। खुद आठवले तीन-चार सीटें मांग कर रहे हैं।