नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में अपराधमुक्त सुशासन की अवधारणा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहला लक्ष्य बनाया है और इस बात का वह अपनी हर रैली और भाषण में जिक्र भी करते हैं। सीएम योगी दावा करते हैं कि उनकी सरकार में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अक्सर इस दावे पर सवाल उठाते रहते हैं। एक आयोजन में भी अखिलेश ने योगी के 'दंगामुक्त प्रदेश' के दावे पर सवाल उठाए। अखिलेश ने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़े देख लीजिए।
हमने जब एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े उठाए तो देखा कि योगी सरकार के पहले साल में तो दंगों की घटनाएं दर्ज हुईं लेकिन उसके बाद ये आंकड़ा शून्य ही रहा। एनसीआरबी पर 2020 तक का आंकड़ा मौजूद है। 2018, 2019 और 2020 में उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे की एक भी घटना दर्ज नहीं की गई। जबकि उससे पहले 2017 में घटनाएं दर्ज हुईं।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मई 2007 से मार्च 2012 तक मुख्यमंत्री रहीं। इस दौरान (2007 से 2011 तक) यूपी में दंगों की 616 घटनाएं हुईं, जिनमें 121 लोग मारे गए।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव मार्च 2012 से मार्च 2017 तक मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान (2012 से 2016 तक) यूपी में 815 सांप्रदायिक दंगे हुए। इन दंगों में 192 लोगों की मौत हुई।
मार्च 2017 से योगी आदित्यनाथ सीएम हैं। यूपी में दंगों की 195 घटनाएं हुई थीं। उन घटनाओं में 44 लोग मारे गए थे। इसके बाद 2018, 2019 और 2020 में एक भी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 साल में देश में सांप्रदायिक दंगों के 6 हजार 800 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा 823 मामले 2013 में और 822 मामले 2017 में दर्ज हुए थे। 2011 से 2017 के दौरान देश में सांप्रदायिक दंगों में 707 लोगों की जान चली गई। 2018 के बाद से एनसीआरबी ने सांप्रदायिक दंगों में मरने वालों का आंकड़ा देना बंद कर दिया। एनसीआरबी के मुताबिक, 2020 में 62 लोगों की हत्या सांप्रदायिक कारणों से हो गई थी।