मध्यप्रदेश  की शिवराज सरकार द्वारा हर जाति वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाने की कवायद शुरू की गई है। दरअसल मध्य प्रदेश के सभी वर्ग को उनके आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश और सुशासन छवि का लाभ हो। इसके लिए  शिवराज और उनकी सरकार द्वारा लगातार प्रयत्न किए जा रहे। इसी बीच मध्य प्रदेश के जनजातीय बंधुओं की आमदनी बढ़ाने के लिए भी सीएम शिवराज ने फैसला लिया है।

मध्यप्रदेश के जनजातीय बंधुओं की आमदनी बढा़ने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार अनूठी कार्य-योजनाओं पर अमल किया जा रहा है। अराष्ट्रीयकृत लघु-वनोपज का संग्रहण, भंडारण, प्र-संस्करण और विपणन से जुडे वनवासियों के आर्थिक तथा कौशल उन्नयन के लिये सुविचारित प्रयास किये जा रहे हैं। वनमंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने बताया कि वनवासियों के हित में 32 लघु-वनोपज प्रजातियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। वनोपज की खरीदी के लिए अपनी दुकान के नाम से 179 खरीदी केन्द्र तथा लघु वनोपज के 47 गोदामों का निर्माण किया गया है।
प्रधानमंत्री वन-धन विकास योजना वनवासी समाज के लिये वरदान सिद्ध हो रही है। वन मंत्री ने बताया कि इस योजना के प्रथम चरण में प्रदेश की 19 जिला यूनियनों में 107 वन-धन केन्द्र क्लस्टर की स्थापना की गई है। प्रत्येक क्लस्टर में 15 स्व-सहायता समूह हैं। प्रत्येक स्व-सहायता समूह में 20 हितग्राही शामिल रहेंगे। इन केन्द्रों पर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध वनोपज, कृषि एवं उद्यानिकी उपज का प्राथमिक प्र-संस्करण, पैकेजिंग तथा विपणन आदि कार्य हितग्राहियों द्वारा किये जाएंगे।

27 संजीवनी आयुर्वेदिक केन्द्र स्थापित

लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा विन्ध्य हर्बल्स ब्रान्ड के नाम से लगभग 350 प्रकार की औषधियों का निर्माण तथा विक्रय किया जा रहा है। इसके अलावा वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों में 27 संजीवनी आयुर्वेदिक केन्द्रों की स्थापना की गई है। इन केन्द्रों पर आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा परामर्श दिया जा रहा है। भोपाल, औबेदुल्लागंज देवास, जबलपुर, बड़वानी, खंडवा, ओंकारेश्वर, बुरहानपुर, खरगोन, रीवा, पश्चिम सीधी, सतना, उत्तर बालाघाट, पश्चिम छिंदवाड़ा, पूर्व छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, उत्तर पन्ना, दक्षिण सिवनी, होशंगाबाद, उत्तर बैतूल, ग्वालियर, दक्षिण सागर, इंदौर, नई दिल्ली, डिंडोरी, छतरपुर और अनूपपुर में संजीवनी आयुर्वेदिक केन्द्र चल रहे हैं।

वन-धन केन्द्रों की स्थापना

सर्वाधिक वन धन केन्द्र 21 सतना में खोले गये हैं। अलीराजपुर में 2, उत्तर बालाघाट में 4, दक्षिण बालाघाट में 6, पूर्व छिंदवाड़ा में 2, पश्चिम छिंदवाड़ा में 2, डिंडोरी में 8, होशंगाबाद में 3, पूर्व मंडला में 6 पश्चिम मंडला में 6, उत्तर पन्ना में 5, दक्षिण पन्ना में 1, उत्तर सिवनी में 6, दक्षिण सिवनी में 6, उत्तर शहडोल में 8, श्योपुर में 2, सीधी में 7, सिंगरौली में 7 और उमरिया में 5 वन धन केन्द्र संचालित हैं। राष्ट्रीयकृत लघु-वनोपज के शुद्ध लाभ की 15 प्रतिशत राशि से औषधीय एवं लघु वनोपज प्रजातियों के पौधा-रोपण, संवर्धन एवं क्षेत्र विकास के कार्य प्राथमिकता से किये जाते हैं।
साथ ही लघु वनोपज के संवहनीय दोहन, प्राथमिक प्र-संस्करण, भंडारण एवं विपणन पर जिला युनियनों में कुशल संस्थानों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं। अलीराजपुर में 2, उत्तर बालाघाट में 4, दक्षिण बालाघाट में 6, पूर्व छिंदवाड़ा में 2, पश्चिम छिंदवाड़ा में 2, डिंडोरी में 8, होशंगाबाद में 3, पूर्व मंडला में 6 पश्चिम मंडला में 6, उत्तर पन्ना में 5, दक्षिण पन्ना में 1, उत्तर सिवनी में 6, दक्षिण सिवनी में 6, उत्तर शहडोल में 8, श्यापुर में 2, सीधी में 7, सिंगरौली में 7 और उमरिया में 5 वन-धन केन्द्र संचालित हैं।