वॉशिंगटन । ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण कुछ सप्ताह के अंदर ही कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। विभिन्न देशों में 2 से 4 दिन के अंदर कोविड-19 के केस दोगुने हो गए हैं। यह वेरिएंट दुनिया के कई देशों में पाया गया है, जिनमें ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस में इस वेरिएंट से प्रभावित लोगों की संख्या ज्यादा है।
इस अध्ययन में एंटीबॉडीज को लेकर ओमिक्रॉन वेरिएंट की संवेदनशीलता को परख गया और इसकी तुलना मौजूदा डेल्टा वेरिएंट से की गई। इस स्टडी का उद्देश्य थेराप्यूटिक एंडीबॉडीज के प्रभावों के वर्गीकृत करने पर था। इसके अलावा पूर्व में कोरोना से संक्रमित या वैक्सीन ले चुके लोगों में इस वेरिएंट का प्रभाव सामान्य रुप से बेअसर साबित हुआ है।इस स्टडी के लिए ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों के नैसल सैंपल लिए गए और इन पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया। इस स्टडी में डॉक्टर्स ने रैपिड न्यूट्रीलाइजेशन पद्धति का इस्तेमाल किया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने 9 मोनोकोनल एंटीबॉडीज का उपयोग क्लिनिकल प्रैक्टिस या प्री क्लिनिकल डेवलपमेंट में किया। इनमें से 6 एंटबॉडीज में एंटीवायरल एक्टिविटी नष्ट हो गई और अन्य 3 एंटीबॉडीज में ओमिक्रॉन के खिलाफ इसका प्रभाव 3 से 80 गुना तक कम हो गया। इस अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि, यह अति संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट एंटीबॉडीज के खिलाफ लड़ने की पर्याप्त क्षमता रखता है। थैराप्यूटिक मोनोकाल एंटीबॉडीज में से ज्यादातर एंटीबॉडीज सार्स-कोव-2 के खिलाफ निष्क्रिय है।
इन डॉक्टर्स का कहना है कि जिन लोगों ने वैक्सीन के दोनों डोज वैक्सीनेशन के 5 महीने बाद लिए हैं उन लोगों को ओमिक्रॉन वेरिएंट ने प्रभावित किया है। लेकिन जिन लोगों ने टीकाकरण के एक महीने बाद फाइजर का बूस्टर डोज लिया है उनमें ओमिक्रॉन वेरिएंट का प्रभाव बेअसर रहा है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि सुरक्षा के लिए बूस्टर डोज की अवधि का अध्ययन करने की अभी और जरुरत है। हालांकि वैक्सीन के प्रभाव से लोगों में गंभीर लक्षण नहीं उभरे हैं इससे यह कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन कारगर है। वहीं नए वेरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन के बूस्टर डोज से राहत मिली है।