आशीष शर्मा, महामंत्री, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी (अध्यक्ष, म.प्र. कांग्रेस आजीविका प्रकोष्ठ)

सरकार गरीब महिलाओं को नुकसान पहुंचा कर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही है
भोपाल | मध्य प्रदेश की शिकायतें पत्र संलग्न करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार गरीब महिलाओं को नुकसान पहुंचा कर उद्योगपतियों का फायदा पहुंचाने का काम कर रही है आशीष शर्मा ने शिकायत की है | महिला समूहों को वर्ष 2020-21 की गणवेश सिलाई के कार्य की शेष 25 प्रतिशत राशि देने में शासन द्वारा अत्याधिक देरी की गई।

जिसके कारण महिला स्वसहायता समूह सिलाई मशीनों के ऋण को समय पर जमा नही कर पाये है। समूहों को अपना मेहनताना भी निकालने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में महिला स्वसहायता समूहों को गणवेश सिलाई का कार्य आज तक नहीं दिया गया है जिससे प्रदेश में हजारों महिलाएं एवं समूह बेरोजगार हो गये है।शासन द्वारा उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से सी.एम. राइज स्कूल की यूनिफार्म का टेंडर निकालकर महिला स्वसहायता समूहों को उक्त कार्य से वंचित रखा गया है। मध्यप्रदेश में महिला स्वसहायता समूहों द्वारा गत वर्ष में एक करोड़ 17 लाख से अधिक स्कूली बच्चों के गणवेश बनाये गये थे। जिसमें से 73 लाख यूनीफार्म ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बनाये थे। वहीं 8 लाख से अधिक ड्रेस शहरी आजीविका मिशन की महिलाओं ने तैयार किये थे। शर्मा ने अवगत कराया है कि सरकार द्वारा उनसे काम छिनने के कारण महिला स्वसहायता समूहों एवं उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है, जीवन यापन करने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। वे सिलाई मशीनों के ऋण भी नहीं चुका पा रहे है।प्रदेश में ‘‘पढ़ना-बढ़ना अभियान’’ के तहत 3 लाख से अधिक महिला स्वसहायता समूहों का गठन मेरे मुख्यमंत्री काल में किया गया था।

 

इन महिलाओं से शासकीय सामग्री की खरीदी करने सहित स्वरोजगार की अनेक योजनाएं प्रारंभ की गई थी। मध्यान्ह भोजन योजना का क्रियान्वयन भी सौंपा गया था। उस समय प्रदेश में लाखों महिलाएं स्वसहायता समूहों से जुड़कर स्वावलंबी बन रही थी। वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा उनको स्वरोजगार से वंचित किया जा रहा है।गत वर्ष इन महिलाओं को ड्रेस बनाने का काम नहीं दिया गया और इस वर्ष भी अभी तक ऑर्डर नहीं दिये है। जबकि जुलाई से स्कूल प्रारंभ हो रहे है।आपके द्वारा पुराने स्कूलों को ही सी.एम. राईज स्कूलों का नया नाम दे दिया है। क्या इसीलिये इन स्कूलों में जाने वाले बच्चों की ड्रेस व्यापारी बनायेंगे। यह प्रदेश के लाखों बच्चों के लिये ड्रेस बनाने और वितरण में भेदभाव क्यों किया जा रहा है। जबकि लाखों महिलाएं ऋण लेकर सिलाई मशीनों पर हाथ पर हाथ रखे बैठी है और स्कूली ड्रेस बनाने के आदेश का इंतजार कर रही है।दिग्विजय सिंह ने लिखा की वर्तमान में गणवेश सिलाई के लिये निकाले गये टेंडरों को निरस्त कर पूर्व की भांति उक्त कार्य महिला स्वसहायता समूहों से ही ड्रेस बनवाये जाने के निर्देश देते हुए मध्यप्रदेश में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कदम उठाने का कष्ट करें।