इस्लामाबाद । आर्थिक रूप से कंगाली के कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान को चीन ने 2.3 अरब डॉलर का नया कर्ज दिया है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा कि चीनी बैंकों के एक संघ से 2.3 बिलियन डॉलर का कर्ज स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के खाते में जमा किया गया है। चीन के इस कर्ज से पाकिस्तान के घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि 15 अरब आरएमबी (करीब 2.3 अरब डॉलर) के चीनी कंसोर्टियम का कर्ज आज स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के खाते में जमा कर दिया गया है, जिससे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है। पाकिस्तान ने चीन के साथ 2.3 अरब डॉलर के कर्मिशियल कर्ज समझौते पर दो दिन पहले ही हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए चीनी सरकार को भी धन्यवाद दिया था। विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने भी चीनी नेतृत्व का आभार जताया था। उन्होंने कहा था पाकिस्तान के लोग हमारे सदाबहार दोस्तों के निरंतर समर्थन के लिए आभारी हैं। फरवरी से ही पाकिस्तान अपनी तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखने के लिए कर्ज की गुहार लगा रहा था। हालांकि, आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए कई शर्तें रख दी थी। जिसके बाद पाकिस्तान को अपने सदाबहार दोस्त चीन का रुख करना पड़ा।
बढ़ते व्यापार घाटे और तेजी से पैसे को निकालने के कारण पाकिस्तानी रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रही है। कर्ज को चुकाने की समयसीमा ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के लिक्विड विदेशी मुद्रा भंडार पर जबरदस्त दबाव डाला है। इस कारण इस कारण पाकिस्तान का तरह विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी से लेकर अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक 5.1 अरब डॉलर से अधिक गिरकर 11.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के अनुसार, उनका विदेशी मुद्रा भंडार 10 जून को 8.99 अरब डॉलर था, जो 17 जून को बढ़कर 14.21 अरब डॉलर था। फरवरी में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन यात्रा के दौरान पाकिस्तान ने लगभग 20 अरब डॉलर का समर्थन पैकेज मांगा था। इसमें 4 बिलियन डॉलर के पुराने कर्ज की अदायगी, मुद्रा विनिमय में मौजूदा 4.5 अरब डॉलर से 10 अरब डॉलर तक का विस्तार और अतिरिक्त वित्तीय सहायता के तौर पर 5.5 अरब डॉलर की राशि शामिल है। चीन ने दो महीने पहले पाकिस्तान को लगभग 2 अरब डॉलर का कर्ज दिया था।