नई दिल्ली । होटलों और रेस्टोरेंट्स में खाना खाने के शौकीन ग्राहकों पर सरकार की नजरें इनायत हुई हैं अब उनसे वसूले जा रहे सर्विस चार्ज से निपटने के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार ने इससे निपटने के लिए लीगल फ्रेमवर्क बनाने का फैसला किया है। सरकार ने गुरुवार को हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद यह फैसला किया। इस मीटिंग में होटल इंडस्ट्री की संस्था नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने कहा कि सर्विस चार्ज वसूलना अवैध नहीं है और पूरी दुनिया में ऐसा होता है। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज वसूलना सही नहीं है। जल्दी ही इस बारे में कड़ा कानून बनाया जाएगा जिसका सभी पक्षों को पालन करना होगा।
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सभी पक्षों की बात सुनने के बाद सरकार इन नतीजे पर पहुंची है कि रेस्टोरेंट्स में ग्राहकों से बिल पर सर्विस चार्ज वसूलना सही नहीं है। सरकार सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए जल्दी ही एक लीगल फ्रेमवर्क बनाएगी। सभी पक्षों को इसका पालन करना होगा। देशभर के रेस्टोरेंट में ग्राहकों से खाने-पीने के बिल में सर्विस चार्ज जोड़कर मांगा जाता है। सर्विस चार्ज वॉलंटरी है लेकिन ग्राहकों को इसे देने के लिए मजबूर किया जाता है। इस बारे में विभाग को कई शिकायतें मिली थीं। विभाग ने इस बारे में 24 मई को होटल इंडस्ट्री से जुड़ी संस्थाओं को एक पत्र भी लिखा था।
सर्विस चार्ज को लेकर सरकार और रेस्टोरेंट मालिकों के बीच तकरार की स्थिति बरकरार है। होटल और रेस्टोरेंट से जुड़े संगठनों से सरकार से साफ तौर कहा है कि सर्विस चार्ज वसूलना रेस्टोरेंट का निजी मामला है। फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट असोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव प्रदीप शेट्टी ने कहा कि यह पूरी तरह से एक रेस्टोरेंट के विवेक पर निर्भर करता है कि ग्राहकों से सेवा शुल्क लेना है या नहीं। वेबसाइट या पोर्टल के माध्यम से ट्रेन और हवाई टिकट बुकिंग, वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से ऑर्डर किए गए भोजन या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बुक कि ए गए मूवी टिकट जैसी सेवाएं सभी ग्राहकों से सुविधा शुल्क वसूलती हैं। देश में 500,000 से अधिक रेस्टोरेंट्स का प्रतिनिधित्व करने वाली एनआरएआई ने कहा कि सर्विस चार्ज को लेकर जो सार्वजनिक बहस हो रही है, उससे बेवजह का भ्रम हो रहा है और रेस्टोरेंट्स का कामकाज प्रभावित हो रहा है। उसका कहना है कि सर्विस चार्ज के बारे में रेस्टोरेंट्स के मेनू कार्ड में साफ-साफ जानकारी लिखी होती है। इसलिए कस्टमर सर्विस लेने से पहले इससे अच्छी तरह वाकिफ होता है। सर्विस चार्ज वर्कर्स के लिए फायदेमंद होता है। अगर इसे हटाया गया तो इससे वर्कर्स को नुकसान होगा।
सर्विस चार्ज को लेकर केंद्र की 21 अप्रैल 2017 को जारी गाइडलाइंस में कहा गया है जब ग्राहक मेन्यू देखता है तो उसमें खाने के आइटम की कीमत और टैक्स लिखा होता है। इसके लिए तैयार होने पर ही ग्राहक ऑर्डर करता है। लेकिन, इसके अलावा ग्राहक की सहमति के बिना लिया जाने वाला कोई भी चार्ज अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस है। टिप कंज्यूमर के अधिकार में है। बिल में साफ लिखा होना चाहिए कि सर्विस चार्ज उपभोक्ता की मर्जी पर है। सर्विस चार्ज का कॉलम खाली रखा जा सकता है कि ग्राहक उसमें खुद पेमेंट से पहले रकम भर ले।