कोरोना महामारी के बाद देश में ऑनलाइन शिक्षा का न सिर्फ विस्तार हुआ है बल्कि आज की तारीख में ये एक जरूरत बन चुकी है। ऐसे में इस बात की पुरजोर उम्मीद है कि अगले महीने पेश किए जाने वाले बजट में केंद्र सरकार इस क्षेत्र के लिए टैक्स राहत के साथ साथ दूसरी सुविधाओं पर भी जोर दे सकती है।सरकार बजट में न सिर्फ एक अलग फंड बल्कि इस सेक्टर के लिए नीतिगत व्यवस्था का भी ऐलान कर सकती है। यही नहीं ऑन लाइन एजुकेशन को रेग्युलेट करने के लिए एक अलग बॉडी के गठन के भी सरकार को सुझाव दिए गए हैं। अलग फंड का इस्तेमाल शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक को अपग्रेड करने के लिए किया जा सकता है। सरकार की कोशिश होगी कि लोगों को सभी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक शिक्षा की पहुंच किफायती और समान रूप हो। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और क्लाउड टेक्नोलॉजी से पढ़ाई पर जोर रहेगा।

स्वयं पोर्टल की तर्ज पर वीडियो असिस्टेंड कोर्सेज के विकास के लिए भी फंड दिया जा सकता है जिससे छात्रों को पढ़ाई करना और सर्टिफिकेट हासिल करना सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सके। इससे देश के छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा। सरकार इन कोर्स को क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार करने का विकल्प भी मुहैया कराने पर विचार कर रही है जिससे देश के हर हिस्से के लोग अपनी भाषा में शिक्षा ले सकें। मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक सरकार देश में ग्रामीण इलाकों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करने के खास उपायों पर भी जोर देगी। इसके लिए सरकार इंटरनेट कनेक्टिविटी के विस्तार पर जोर देते हुए सभी सरकारी स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी का ऐलान कर सकती है। वहीं, छात्रों के लिए सस्ती दरों पर डिवाइस की व्यवस्था की रूपरेखा भी बजट में देखने को मिल सकती है।

केंद्र सरकार की मंशा देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने की है। ऐसे में इस क्षेत्र में काम कर रहे स्टार्टअप को छोटे संस्थानों को लंबी अवधि में टैक्स राहत देने के उपायों की भी उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि देश में मौजूदा समय में 60 हजार से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें कई शिक्षा जगत में सक्रिय हैं। सरकार ने पिछले छह वर्षों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने की कई तरह की पहल की है। इसमें कर में रियायत समेत आर्थिक मदद आदि शामिल हैं।