भोपाल  । राज्य सरकार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे कॉलेजों के टीचर्स को सातवें वेतनमान का लाभ देने पर विचार किया जाए। हाईकोर्ट के इस आदेश से  मध्यप्रदेश के अनुदान प्राप्त प्राइवेट कॉलेजों के टीचर्स को बड़ी राहत मिली है। मप्र अशासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ की याचिका पर मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने जल्द निर्णय लेने के निर्देश सरकार को दिए। मप्र अशासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष और जीएस कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. ज्ञानेंद्र त्रिपाठी और डीएन जैन कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. शैलेष कुमार जैन ने याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2014 में मप्र विरुद्ध डॉ. शारिक अली के मामले में दिए दिशा-निर्देशों और न्याय दृष्टांत के आधार पर इस आवेदन पर फैसला लेने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि शासकीय अनुदान प्राप्त शिक्षकों एवं कर्मचारियों को भी सरकारी कॉलेज के टीचर्स और कर्मचारियों के समान वेतन दिया जाए। प्रदेश में शासन से अनुदान प्राप्त 75 प्राइवेट कॉलेज संचालित हैं। सरकारी कॉलेजों के समान यूजीसी वेतनमान मिल रहा है। इसके पहले 6वें वेतनमान का लाभ भी मिला है। याचिका में बताया गया कि इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग को आवेदन देकर मांग की गई कि सातवां यूजीसी वेतनमान दिया जाए। विभाग द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि प्रदेश के सभी शासकीय कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में 7वें वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है। शासकीय की तरह अशासकीय महाविद्यालयों में भी नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम और कॉलेज कोड-28 के तहत ही नियुक्तियां होती हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 2014 अशासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को 6वें वेतनमान का लाभ देने के आदेश दिए थे।