सात मई वह शुभ दिन है जब किसी मुहुर्त की आवश्यकता नहीं होती विवाह के लिए। बिना पंचांग दे परिणय बंधन में बंध जाने का यह उत्सव सात मई को सैकड़ों युवाओं के जीवन में नई खुशियां लेकर आएगा। राजधानी में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर कई समाजों ने सामूहिक विवाह का आयोजन किया है। राजधानी ही नहीं आस पास के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे दर्जनों आयोजन किए जाने की तैयारी हो चुकी है जहां परिजनों के बीच खुशनुमा माहौल में करीब एक हजार से अधिक जोड़े सात फेरे लेंगे और विवाह के गीत गाए जाएंगे। सात मई को अक्षय तृतीया की तिथि सूर्योदय से मध्यरात्रि 2.14 तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र शाम 4.44 बजे गोधूलि तक रवियोग के साथ रहेगा। भगवान परशुराम की जयंती भी सात मई को मनाई जाएगी। अक्षय मुहूर्त में की गई खरीदी को भी अक्षय माना जाता है जिसके चलते लोग आभूषणों की विशेष तौर पर खरीदी करेंगे। इसी दिन विवाह समारोह के अलावा बहुत से जोड़ों की वर्षगांठ भी होती है। वहीं अक्षय तृतीया के अवसर पर शहर में लगाग साी बैंड पार्टी, शादी हॉल व उद्यान विवाह समारोहों के लिए बुक हो चुके हैं। विवाह समारोह में सर्वाधिक मांग पंडितों की हो रही है। 
क्षय नहीं होती है अक्षय तृतीया की तिथि  
वर्ष में कोई भी तिथि क्षय हो सकती है, लेकिन अक्षय तृतीया कभी भी क्ष्य नहीं होती है। धर्म शास्त्रों के अक्षय तृतीया को सौभाग्य दिवस भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन जिनका विवाह होता है, उनका अखंड सौभाग्य रहता है। अक्षय तृतीया के दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान एवं साधना की जाती है, जिनसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।