पीवी सिंधुसिंधु को 2021 स्विस ओपेन के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन टोक्यो ओलंपिक में उन्हें एंबेसडर चुना गया। किसी भारतीय खिलाड़ी को यह जिम्मेदारी मिलना बड़ी बात थी। इस ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। वे दूसरी महिला खिलाड़ी बनीं, जिन्होंने दूसरी बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाई। सिंधु 2021 बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में भी पहुंचीं और ऐसा करने वाली सिर्फ दूसरी महिला खिलाड़ी बनीं। इसके बाद सैयद मोदी इंटरनेशनल में भी उन्होंने जीत हासिल की। 

मीराबाई चानू2020 टोक्यो ओलंपिक में देश को पहला पदक दिलाने वाली मीराबाई चानू ने पिछले एक साल में कई बार देश सिर गर्व से ऊंचा कर चुकी हैं। उन्होंने अप्रैल 2021 में एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। इस दौरान उन्होंने 119 किलोग्राम वजन उठाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। जून 2021 में वो पहली भारतीय महिला वेटलिफ्टर बनीं, जिन्होंने 2020 ओलंपिक में जगह बनाई। टोक्यो ओलंपिक में भी उन्होंने रजत पदक जीतकर भारत के लिए शानदार शुरुआत की थी।

लवलीना बोरगोहेन :   लवलीना बोरगोहेन असम की तीसरी मुक्केबाज हैं, जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता है। उन्होंने साल 2021 में ओलंपिक में देश के लिए कमाल का प्रदर्शन किया। उनके बेहतरीन खेल की बदौलत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम ऊंचा हुआ। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया। आने वाले समय में उनसे सभी को और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी। लवलीना मेरीकॉम के बाद बॉक्सिंग की दुनिया में भारत की नई उम्मीद बनकर उभरी हैं। 

निखत जरीन  :  25 साल की निखत जरीन अपने युवा करियर में कई बार देश का नाम ऊंचा कर चुकी हैं। आने वाले समय में उनसे देश को लगातार अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होगी। इस साल उन्होंने सतरंजा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में यूक्रेन की टेटिना कॉब को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उन्होंने यूक्रेन के खिलाड़ी को 4-1 से हराकर एकतरफा अंदाज में यह मैच जीता था। उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से देश का मान बढ़ाया है। 

सविता पुनिया  :  भारत की महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पुनिया भी कई मौकों पर देश का मान बढ़ा चुकी हैं। हाल ही में स्पेन के खिलाफ दो मैचों की सीरीज के लिए उन्हें भारतीय टीम की कप्तान बनाया गया था और आने वाले समय में भी उन्हें यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। सविता की टीम ने टोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था, लेकिन पदक नहीं जीत पाई थी। हालांकि, महिला टीम ने अपने प्रदर्शन से देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। इसमें सविता का योगदान बहुत अहम था।