छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के देवी मंदिरों में बुधवार को सुबह गुप्त नवरात्रि पर देवी प्रतिमा का श्रृंगार करके पूजा अर्चना की गई। घट स्थापना कर केवल महाज्योति प्रज्ज्वलित की गई। महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में देवी प्रतिमा का अभिषेक कर श्रृंगार किया।इसके बाद घट स्थापना की गई। चूंकि गुप्त नवरात्रि में सभी पूजा विधान गुप्त रूप से सम्पन्न किया जाता है, इसलिए केवल प्रधान पुजारियों ने गर्भ गृह में पूजा विधि करवाई। इस नवरात्रि में श्रद्धालुओं की मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित नहीं की जाती। मंत्र सिद्धि के लिए श्रद्धालु नौ दिनों तक एकांत में बैठकर उच्चारण करेंगे। बुधवार से शुरू हुई नवरात्रि 10 फरवरी तक मनाई जाएगी। मंदिर में देवी महामाया और देवी समलेश्वरी की प्रतिमा का नौ दिनों तक अलग-अलग रूपों में श्रृंगार करके विशेष पूजा की जाएगी। मंदिर के पुजारी, सेवादार ही मुख्य पूजा में शामिल होते हैं।

गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या देवी की पूजा की परंपरा निभाई जाएगी। इनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की साधना होती है। रवियोग और सर्वार्थसिद्धि योग के साथ शुरू हुई नवरात्रि में सभी नए कार्यो की शुरुआत की जा सकती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र, मंत्र सिद्ध करने के लिए तांत्रिकगण, अघोरी विशेष पूजा, अनुष्ठान करेंगे। देवी माता के भक्त अपने घर पर देवी मंत्रों का जाप, साधना करते हैं। गुप्त नवरात्रि में देवी की आराधना, पूजन करके हवन में आहुति देने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि हवन में आहुति देने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।