वॉशिंगटन । भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को उसके ही अंदाज में प्रतिउत्तर दिया है। न्‍यूयॉर्क शहर में सिखों पर लगातार हो रहे हमलों के बीच भारत के कथित मानवाधिकार उल्‍लंघन पर सवाल उठाने वाले जयशंकर ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है। बाइडेन प्रशासन के दबाव के आगे बिना झुके जयशंकर ने एंटनी ब्लिकंन के भारत में मानवाधिकारों की हालत पर सवाल उठाने और अमेरिकी मानवाधिकार र‍िपोर्ट का कुछ घंटे के अंदर ही अमेरिका की धरती से मुंहतोड़ जवाब दे दिया। उन्‍होंने इशारों ही इशारों में साफ कह दिया कि भारत अमेरिका में भारतीयों के मानवाधिकारों के उल्‍लंघन पर नजर बनाए हुए है। जयशंकर के इस बयान की भारतीय सोशल मीडिया में जमकर तारीफ हो रही है। विदेश मंत्री जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में अमेरिका को स्‍पष्‍ट संदेश देते हुए कहा, 'लोग हमारे बारे में विचार बनाने का हक रखते हैं। हमें भी उनके लॉबी और वोट बैंक के बारे में विचार बनाने का हक है। हम मौन नहीं रहेंगे। अन्‍य लोगों के मानवाधिकारों पर हमारी भी राय है, खासतौर पर जिसका संबंध हमारे अपने (भारतीय) समुदाय से है।' मानवाधिकारों के मुद्दे पर भारत को लगातार ज्ञान दे रहे अमेरिका को विदेश मंत्री जयशंकर ने अब तक का सबसे कड़ा संदेश दिया। इससे कुछ घंटे पहले अमेरिका के विदेश विभाग ने भारत में मानवाधिकारों के उल्‍लंघन पर एक रिपोर्ट जारी करके कई तल्‍ख टिप्‍पण‍ियां की थीं। 
वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी जयशंकर की मौजूदगी में कहा था कि उनका देश भारत में मानवाधिकारों के उल्‍लंघन की निगरानी कर रहा है। इसमें कुछ सरकारी, पुलिस और जेल अधिकारियों की मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती हुई घटनाएं शामिल हैं। ब्लिंकन जब भारत को यह ज्ञान दे रहे थे, ठीक उसी समय न्‍यूयॉर्क में दो सिखों पर जानलेवा हमला हुआ था। विदेश मंत्री जयशंकर ने यह भी बताया कि इस सप्ताह भारत और अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू मंत्रीस्तरीय बैठक के दौरान मानवाधिकार के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई थी। जयशंकर ने कहा कि जब भी इस पर चर्चा होगी तो भारत बोलने से पीछे नहीं हटेगा। जयशंकर ने कहा, 'इस बैठक में हमने मानवाधिकार के मुद्दे पर चर्चा नहीं की। यह बैठक मुख्य रूप से राजनीतिक-सैन्य मामलों पर केंद्रित थी।' जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह यहां वॉशिंगटन में भारत-अमेरिका टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेने के लिए आए थे। जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों में आज उन सभी मुद्दों पर चर्चा करने की मजबूती और सहजता है, जिन पर दोनों पक्ष सहमत नहीं हैं।