भोपाल : स्वतंत्रता सेनानी और आमजन तक गीतों से आजादी पाने का संदेश पहुँचाने वाले कवि गीतकार स्व. हूंदराज दुखायल और कवि, गीतकार स्व.गोवर्धन भारती की याद में सिंधी साहित्य अकादमीद्वारा सिंधी अदबी संगत का आयोजन बीती शाम संत हिरदाराम नगर स्थित संस्कार पब्लिक स्कूल में किया गया। सिंधी साहित्य के इन दोनों सितारों को समर्पित करते हुए उपस्थित साहित्यकारों ने अपनी बात रखी। सिन्धी साहित्य अकादमी के निदेशक श्री राजेश वाधवानी ने बताया कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में निरंतर गतिविधियों का लक्ष्य है।

 कार्यक्रम का आरंभ स्व. दुखायल द्वारा रचित गीत "साईं ओ साईं, साईं मेहर वसाईं..." से हुआ। नारी लछवानी, परसो नाथानी, दिलीप लालवानी, सपना एवं रचना लछवानी ने गोवर्धन भारती द्वारा रचित गीत "तिनखे छा सागर बो॒डींदो, जिनखे झूलण तारे..." की मनमोहक प्रस्तुति दी। सामूहिक गीत की ही श्रंखला में अगली प्रस्तुति "हलो हलो मेले में, मौज मचायो मेले में.." रही।

इस अवसर पर भगवान बाबानी ने स्व. हूंदराज दुखायल के व्यक्तित्व तथा कृतित्व की जानकारी दी। स्व. श्री दुखायल 13 वर्ष की छोटी आयु में ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए, बाद में अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से भी उन्होंने सिंध में स्वतंत्रता की ज्योति को प्रज्वलित रखा।

श्री नन्द सनमुखानी ने स्व. गोवर्धन भारती के बारे में बताया कि उन्होंने सिन्धी साहित्य को कई नए फनकार दिए। उनकी शब्दों पर गहरी पकड़ थी, जो सिन्धी साहित्य में उन्हें बांग्ला साहित्य के रवीन्द्रनाथ टैगोर और हिंदी साहित्य के मुंशी प्रेमचंद के समकक्ष प्रमाणित करती है। साहित्य अकादमी पुरस्कृत खीमन मूलानी, कन्हैयालाल मोटवानी, ओ.पी. टाहिलयानी, के शेवानी हर्षा मूलचंदानी ने भी अपनी काव्य प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया।

स्व. श्री हूंदराज दुखायल द्वारा रचित "ही मुहिंजो वतन,मुहिंजो वतन मुहिंजो वतन, माखीअ खां मिठेड़ो, मिसरीअ खां मिठेड़ो..." की सामूहिक प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। संचालन द्रोपदी चंदनानी ने किया।