शिवरात्रि के एक दिन पहले, मतलब त्रयोदशी तिथि के दिन, व्रती को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. शिवरात्रि के दिन, सुबह नित्य कर्म करने के पश्चात्, भक्त गणों को पूरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प के दौरान, भक्तों को मन ही मन अपनी प्रतिज्ञा दोहरानी चाहिए और भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने हेतु आशीर्वाद मांगना चाहिए.

शिवरात्रि व्रत नियम(Shivratri fast Rules)

    शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करना चाहिए या मन्दिर जाना चाहिए. 

    शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के पश्चात् अपना व्रत का पारण करना चाहिए.

    व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए.

    लेकिन, एक अन्य धारणा के अनुसार, व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात् का बताया गया है.

    दोनों ही अवधारणा परस्पर विरोधी हैं. लेकिन, ऐसा माना जाता है की, शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन), दोनों ही चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले करना चाहिए.

रात्रि के चारों प्रहर में की जा सकती है शिव पूजा

शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है. रात्रि के चार प्रहर होते हैं, और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है. जिसके अनुसार-

महा शिवरात्रि मंगलवार, मार्च 1, 2022 को निशिता काल पूजा समय - 12:08 ए एम से 12:58 ए एम, मार्च 02

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:21 पी एम से 09:27 पी एम

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:27 पी एम से 12:33 ए एममार्च 02

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:33 ए एम से 03:39 ए एम, मार्च 02

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:39 ए एम से 06:45 ए एम, मार्च 02

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 01, 2022 को 03:16 ए एम बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त - मार्च 02, 2022 को 01:00 ए एम बजे

2 मार्च को, शिवरात्रि पारण समय - 06:45 ए एम, मार्च 02


शिव मंत्र

1. शिव मोला मंत्र

ॐ नमः शिवाय॥

2. महा मृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. रूद्र गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥