भोपाल । गर्मी के मौसम में पानी बचाने के लिए भोपाल रेल मंडल ने अभी से प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस बार रानी कमलापति एवं भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म साफ करने के लिए भोपाल रेलवे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं सांची से मिलने वाले पानी का इस्तेमाल करेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सांची संस्था को निर्देश दिए हैं कि वह दूध उत्पादन के बाद निकलने वाले पानी को नाले में बहाने की बजाय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तक सप्लाई करें। इससे यहां साफ सफाई के काम में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
सांची दुग्ध उत्पादन संस्था, रेलवे के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को शुरू कर रहा है जिसके बाद प्लेटफार्म की धुलाई एवं सफाई के लिए इस पानी का इस्तेमाल किया जाएगा। इधर भोपाल रेलवे स्टेशन पर बनाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी का इस्तेमाल साफ सफाई के लिए करना शुरू कर दिया गया है। चलती ट्रेन में पानी की बचत करने के लिए नए तरह के प्रेशराइज फ्लशिंग सिस्टम वाले नए रेलवे कोच तैयार किए जा रहे हैं।
लाखों लीटर पानी की होगी बचत
प्रेशराइज फ्लशिंग सिस्टम के इलेक्ट्रो न्यूमेटिक फ्लश वॉल्व के चलते फ्लस लीवर दबाने पर हवा के दबाव के साथ पानी निकलता है। यह प्रणाली आधुनिक सेंसर से भी काम करती है। लीवर नहीं दबाने वाले यात्री बगैर पानी बहाए चले जाते हैं तो दरवाजे पर लगा सेंसर इस मशीन को एक्टिवेट कर देता है। हवा और पानी के मिश्रण प्रेशर से मात्र 30 सेकंड में ही टॉयलेट की सफाई कर देते हैं। एक ट्रेन में लगने वाले 20 कोच में एक फ्लशिंग चक्र में 60 की जगह 30 लीटर पानी ही इस्तेमाल करना पड़ेगा। इस प्रकार 380 कोच में एक बार फ्लस दबाने पर 1140 लीटर पानी बचेगा जबकि 3000 कोच में एक बार फ्लस दबाने पर 90 हजार लीटर पानी बचत होगी।