कोरोना महामारी के दौरान जहां एक ओर देश में गरीब लोगों के सामने खाने पीने का संकट पैदा हो गया था, तो वहीं दूसरी ओर इस दौरान देश में अमीरों की संख्या बढ़ी है। गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत में अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई। आज वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2022 का पहला दिन है। इसी मौके पर ऑक्सफैम इंडिया की तरफ से वार्षिक असमानता सर्वे जारी किया गया है। इसके अनुसार कोरोना काल में भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति दोगुनी हो गई। 

कोरोना के कारण असमानता इतनी बढ़ गई है कि देश के सबसे अमीर 10% लोगों के पास देश की 45% दौलत है। वहीं, देश की 50% गरीब आबादी के पास महज 6% दौलत है। भारत के टॉप-10% अमीर लोगों पर अगर 1% एडिशनल टैक्स लगाया जाए तो उस पैसे से देश को 17.7 लाख एक्स्ट्रा ऑक्सीजन सिलिंडर मिल जाएंगे। वहीं, देश के 98 अमीर परिवारों पर अगर 1% एक्स्ट्रा टैक्स लगाया जाए तो उस पैसे से आयुष्मान भारत प्रोग्राम को अगले सात सालों तक चलाया जा सकता है। आयुष्मान भारत दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ इंश्योरेंस प्रोग्राम है।

देश के 142 अरबपतियों की कुल दौलत 719 बिलियन डॉलर, यानी 53 लाख करोड़ रुपए है। 98 सबसे अमीर लोगों के पास 55.5 करोड़ गरीब लोगों के बराबर दौलत है। यह करीब 657 बिलियन डॉलर, यानी 49 लाख करोड़ रुपए होती है। इन 98 परिवारों की कुल दौलत भारत सरकार के टोटल बजट का करीब 41% है। अगर भारत के टॉप-10 अमीर रोजाना आधार पर 1 मिलियन डॉलर, यानी 7.4 करोड़ रुपए खर्च करें तो भी उनकी दौलत को खर्च होने में 84 साल लग जाएंगे। वहीं अगर देश के अमीरों पर वेल्थ टैक्स लगाया जाए तो 78.3 बिलियन डॉलर, यानी 5.8 लाख करोड़ रुपए कलेक्ट किया जा सकता है। इस पैसे से सरकार का हेल्थ बजट 271% बढ़ सकता है।