देहरादून।  उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्य इकाई के अध्यक्ष मदन कौशिक सहित कई भाजपा दिग्गजों के राजनीतिक भाग्य का फैसला होगा। धामी कैबिनेट में अन्य मंत्रियों के भाग्य का भी फैसला सोमवार को होगा। उत्तराखंड विधानसभा की 70 सीटों पर एक ही चरण में 14 फरवरी को मतदान होगा।

मुख्यमंत्री धामी दूसरे के लिए और इस बार खटीमा से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चार बार के विधायक और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष कौशिक हरिद्वार से चुनाव लड़ रहे हैं।

श्रीनगर से मंत्री धन सिंह रावत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

हरिद्वार (ग्रामीण) विधानसभा सीटों में भाजपा के वरिष्ठ नेता और धामी सरकार में मंत्री यतीश्वरानंद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी कांग्रेस उम्मीदवार अनुपमा रावत के खिलाफ एक और कार्यकाल के लिए किस्मत आजमा रहे हैं।

उत्तराखंड के मंत्री सुबोध उनियाल और गणेश जोशी क्रमश: नरेंद्र नगर और मसूरी विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं।

स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।

अन्य प्रमुख नामों में चौबट्टाखल से मंत्री सतपाल महाराज, कालाढूंगी से बंसीधर भगत, रुड़की से प्रदीप बत्रा और दीदीहाट से बिशन सिंह चुफल शामिल हैं।

उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय टिहरी विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।

राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री धामी के साथ विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने का वादा किया।

उत्तराखंड बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बात कर चुनाव का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। उत्तराखंड से भाजपा के राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल ने कहा था कि कांग्रेस मुस्लिम समुदाय के साथ 'वोट बैंक' जैसा व्यवहार कर रही है और विश्वविद्यालय का वादा कर अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने की कोशिश कर रही है।

उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष अकील अहमद ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड में एक मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थापित करने का आश्वासन दिया था। कांग्रेस पार्टी और पूर्व रावत ने अहमद के दावों का खंडन किया है, भाजपा ने कहा है कि विपक्षी दल राज्य में समुदाय के लिए मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थापित करने का वादा करके कुछ विधानसभा क्षेत्रों में 'मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण' करने की कोशिश कर रहा है।

2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 70 में से 57 सीटें जीती थीं। भाजपा इस प्रवृत्ति को उलटने की कोशिश कर रही है कि उत्तराखंड में सरकार हर पांच साल में लगातार दो चुनाव जीतकर बदल जाती है।