सिर्फ आधा गिलास पानी से ही सात किलो तक कपड़े  " 5 जोड़ी कपड़े या 6 पैंट-4 शर्ट " एक बार में साफ किए जा सकते हैं। चितकारा यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और टीचर्स ने मिलकर दो साल की मेहनत के बाद ऐसी वॉशिंग मशीन तैयार की है। ये मशीन ना सिर्फ उनके अपने हॉस्टल बल्कि कुछ अस्पतालों और बेकरी में भी यूज हो रही है। इसे पेटेंट भी मिल चुका है। इसमें गाड़ियों की इंजन की तर्ज पर ही टेक्नोलॉजी का उपयोग किया है। इसका नाम रखा है- ‘80 वॉश क्योंकि कपड़े महज 80 सेकंड में साफ हो जाएंगे। इस मशीन के प्रोडक्शन यूनिट लगाने के लिए हिमाचल सरकार बद्दी में जगह देने के लिए जल्द डील फाइनल कर सकती है।

यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग स्टूडेंट रूबल गुप्ता ने इस मशीन को तैयार किया है। उनके गाइड एसोसिएट डीन रिसर्च डॉ. नितिन कुमार सलूजा और वरिंदर सिंह रहे हैं। डॉ. नितिन कहते हैं- कोरोना के ही इस टाइम में अस्पतालों के सामने बड़ी दिक्कत थी। वहां पर चादरें और कपड़े ज्यादा तेजी से बदलने की जरूरत थी। आम वॉशिंग मशीन में कपड़े धोने और सुखाने में कुछ घंटे या कुछ दिन भी लगते थे। यह मशीन पानी भी बचाएगी और समय भी। इस बार अटल इनोवेशन रैंकिंग में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की कैटेगरी में चितकारा को दूसरा स्थान मिला है। इसमें सिर्फ 80 सेकंड में बैक्टीरिया और जर्म्स साफ हो जाते हैं। इसमें रेडिएशन तकनीक से मैल पूरी तरह से निकल जाता है। ये मशीन गंध और संक्रमण भी निकाल देती है।