जालंधर । पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पार्टी नेताओं के साथ बैठकों का दौर जारी है। कुछ नेताओं का मानना है कि यह मीटिंग आंतरिक कलह को दूर करने के लिए की जा रही हैं। खबर है कि बैठकों में अधिकांश वे नेता हैं, जो चुनाव हार गए थे या जिन्हें पार्टी की तरफ से टिकट नहीं मिला। 10 मार्च को घोषित नतीजों के अनुसार, पंजाब में कांग्रेस ने 18 सीटें जीतकर सत्ता गंवा दी थी। वहीं, सिद्धू को भी अमृतसर पूर्व से हार का सामना करना पड़ा था। सिद्धू ने 16 मार्च को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उस दौरान सिद्धू के सहयोगी ने दावा किया था कि उन्होंने 2 महीनों तक चुप्पी साधने की कसम खाई है। हालांकि, चार दिनों बाद सिद्धू ने सात कांग्रेस नेताओं को घर बुलाया। इसी तरह की एक बैठक 26 मार्च को सुल्तानपुर लोधी में हुई, जहां 24 नेता मौजूद रहे। अब आने वाले हफ्तों में मंगलवार को लुधियाना में होने वाली चर्चा समेत दो और बैठकें होनी हैं। अनुमान है कि इनमें करीब 36 नेता शामिल हो सकते हैं। खास बात है कि पार्टी के 18 विधायकों में से केवल सुखपाल खेड़ा औऱ बलविंदर सिंह धालीवाह ही मीटिंग में पहुंचे थे। रिपोर्ट के अनुसार, बैठकों में मौजूद लोगों का कहना है कि सिद्धू पार्टी का प्रदेश प्रमुख बनने का एक और मौका चाहते हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि पूर्व राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और राज्य के पूर्व गृहमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा इस पद की दौड़ में आगे चल रहे हैं। दोनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी सीटों पर जीत हासिल की है। कांग्रेस में शामिल हो चुके आप के पूर्व विधायक पिरमल एस धौला का कहना है कि बैठक में मौजूद कई लोगों को लगता है कि अगर सिद्धू को खुलकर काम करने दिया जाता, तो पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी। उन्होंने कहा, आप की तरफ से गिनाई गई परेशानियों का उनके पास समाधान था। अगर उन्हें सीएम बना दिया जाता, तो पार्टी जीत सकती थी। बैठक में मौजूद रहे एक अन्य नेता का दावा है कि सिद्धू के बर्ताव में फर्क आया है। नेता ने कहा, उन्होंने कबूल किया है कि उन्होंने पार्टी में कभी भी धड़ा बनाने की कोशिश नहीं की, लेकिन अब उन्हें दूसरे विधायकों को साथ लेकर चलने की अहमियत का एहसास हो गया है।