भोपाल । मध्य प्रदेश में पिछले साल 128 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था लेकिन इस बार इसके घटने के आसार हैं। दरअसल, 24 मार्च से प्रारंभ हुए उपार्जन में अब तक नौ लाख 47 हजार टन गेहूं खरीदा गया है। जबकि, पिछले साल इस अवधि में 13 लाख टन से अधिक की खरीदी हुई थी। वहीं, मंडियों में आवक दोगुना है। अभी तक 22 लाख टन गेहूं की बिक्री हो चुकी है। इसकी मुख्य वजह बाजार में गेहूं की मांग अधिक होना है। इसके कारण किसानों को समर्थन मूल्य दो हजार 15 रुपये से अधिक कीमत मिल रही है। वहीं, सरकार ने इस बार किसान और रकबे (क्षेत्र) का सत्यापन आधार से करने की व्यवस्था लागू की है। इसकी वजह से पंजीयन तो घटा ही ऐसे खसरे भी चि-त हुए, जिनमें दर्ज किसान के नाम का पंजीयनकर्ता से मिलान नहीं हुआ। इनसे उपार्जन नहीं किया जाएगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए प्रदेश में 19 लाख 81 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। पंजीयन का कुल रकबा 42.24 लाख हेक्टेयर है। उपार्जन में गड़बड़ी को रोकने के लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने ऐसे किसान, जिनका रकबा पिछले साल की तुलना में 50 प्रतिशत बढ़ा, सिकमी (किराए पर भूमि लेना) और दो हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसानों का सत्यापन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) और तहसीलदारों से कराया है। अब तक 33 लाख 92 हजार 935 हेक्टेयर रकबे का सत्यापन कराया। इसमें 33 लाख 36 हजार 132 का रिकार्ड बिलकुल सही पाया गया। वहीं, 56 हजार 803 हेक्टेयर रकबे का पंजीयन में दर्ज जानकारी से मिलान नहीं हुआ।
बिक्री की गति धीमी
संचालक खाद्य, नागरिक आपूर्ति दीपक सक्सेना का कहना है कि जो भी किसान पात्रता रखते हैं, उन सबसे गेहूं खरीदा जाए। सत्यापन की प्रक्रिया वास्तविक किसानों को हितों को देखते हुए अपनाई गई है। गलत जानकारी देकर पंजीयन कराने वाले किसानों को रोकने के लिए उपार्जन केंद्रों पर दस्तावेजों का आधार नंबर में दर्ज जानकारी से मिलान भी करवाया जा रहा है। उधर, अब तक एक लाख 13 हजार किसानों से नौ लाख 47 हजार टन गेहूं खरीदा जा चुका है। यह पिछले साल इस अवधि में हुई खरीद से कम है। वहीं, मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक विकास नरवाल ने बताया कि मंडियों में किसानों ने 22 लाख टन गेहूं बेचा है, जो पिछले की तुलना में दोगुना है। हालांकि, अब गति कुछ धीमी हुई क्योंकि औसत कीमत प्रति क्विंटल दो हजार रुपए के आसपास आ गई है।
बेचे गए गेहूं की जानकारी दिखेगी उपार्जन केंद्र पर
प्रदेश में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग अब किसानों के पंजीयन का दुरुपयोग न हो, इसके लिए नई शुरूआत कर रहा है। दरअसल अब मंडी में बेचे गए गेहूं की जानकारी उपार्जन केंद्र पर पता चल जाएगी। इस तरह के निर्देश विभाग ने जारी कर दिए हैं। अब उपार्जन मंडी मिलान प्रणाली अंतर्गत मंडी में की गई एंट्री की जानकारी जिले के समस्त निर्धारित केंद्रों पर उपार्जन मंडी मिलान प्रणाली समिति के विकल्प पर रियल टाइम किसानवार प्रदर्शित होगी। किसान का नाम, मोबाइल नंबर, समग्र आइडी या आधार नंबर, किसान पंजीयन कोड दर्ज करने पर किसान द्वारा मंडी में विक्रय की गई मात्रा की जानकारी देखी जा सकेगी। उसका प्रिंटआउट निकाल कर केन्द्र पर नियोजित नोडल अधिकारी द्वारा परीक्षण कर केन्द्र प्रभारी को दी जाएगी। इसके बाद किसान की पात्रता की शेष मात्रा के गेहूं का नियमानुसार उपार्जन अथवा खरीदी की जाएगी। जिले के समस्त किसान भाइयों से अपील की गई है कि कृषि उपज मंडियों में उपज विक्रय हेतु लाते समय उक्?तानुसार आधार कार्ड, किसान पंजीयन, समग्र आइडी आदि दस्तावेज साथ में लाएं ताकि अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।
स्लाट बुक करने के लिए आज आखिरी दिन
उपार्जन केंद्रों पर समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए रविवार को स्लाट बुक करने का आखिरी दिन है। इसके बाद स्लाट बुक नहीं हो सकेंगें। वहीं खाद्य आपूर्ति नियंत्रक विभाग के अधिकारी हर दिन उपार्जन केंद्रों पर निरीक्षण कर रहे हैं। यहां पर जो भी अव्यवस्थाएं हैं, उन्हें तुरंत दुरुस्त करने की ताकीद की जा रही है। जिससे 16 मई तक गेहूं उपार्जन में किसी तरह की कोई दिक्कत न आए। उचित समय पर ज्यादा से ज्यादा गेहूं की फसल सरकार किसानों से खरीदी जा सके।