भोपाल । प्रदेश में कांग्रेस संगठन में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। आने वाले 6 महीनों में तय हो जाएगा कि प्रदेश कांग्रेस की कमान किसके हाथ में होगी? इंदौर से पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा और जीतू पटवारी दौड़ में नजर आ रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चलती सरकार से बाहर किए गए कमलनाथ ही कुर्सी पर बने रहने के मूड में हैं, ताकि अगले साल विधानसभा चुनाव में वे दोगुनी ताकत से प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने का सपना पूरा कर सकें। कांग्रेस के अंदरखाने की ही खबर है कि कमलनाथ को हाईकमान ने संकेत दे दिए हैं कि ये विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में ही होंगे, फिर भी पार्टी में नेतृत्व को लेकर आने वाले समय में उठापटक होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर कमलनाथ ने जिस तरह अभी से ही संगठन में कसावट लाना शुरू की है, उससे तो यही दिख रहा है कि कमलनाथ ही प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के रूप में विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा रहेंगे। इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन विश्वस्त सूत्रों का तो यही कहना है। 15 महीने की सरकार चलाने के बाद बाहर होने की टीस अभी भी कमलनाथ के मन में हैं।
पीसीसी चीफ के लिए कई दावेदार
इधर संगठन चुनाव भी घोषित हो चुके हैं और इसी अगस्त तक प्रदेश कांग्रेस में नया अध्यक्ष चुना जाना है। कमलनाथ मुखिया बने रहना चाहते हैं, लेकिन उनकी राह में उनके ही नेता रोड़ा बने हुए हंै। जिस तरह से पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस की बैठक से दिग्गी और अरुण यादव गायब थे, उससे कई राजनीतिक चर्चाएं चल पड़ी हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि दिग्विजय सिंह और अरुण यादव अपने ही किसी नेता को इस पद पर देखना चाहते हैं। अजय सिंह भी चाहेंगे कि वे खुद कांग्रेस का नेतृत्व करें। इंदौर से विधायक और कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी का नाम भी कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है। वहीं सज्जनसिंह वर्मा खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन उनकी निगाहें पीसीसी चीफ की कुर्सी पर तो हैं। प्रदेश के सक्रिय कांग्रेस नेताओं और लगातार भाजपा पर हमलावर रहने वाले नेताओं में दोनों का नाम सबसे पहले आता है। इसके अलावा और भी कई नाम अध्यक्ष के लिए सामने आ रहे हैं। फिलहाल तो कांग्रेस में सतही तौर पर सबकुछ ठहरा दिखाई दे रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर नेताओं में चल रही सुगबुगाहट आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनीति में जरूर हलचल पैदा करेगी।