भोपाल । मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी यह घोषणा कर चुकी है कि वह आने वाले दो माह में 15 जिला मुख्यालयों में बिलिंग सिस्टम को पूरी तरह से पेपरलेस कर देगी। कंपनी 15 जिला मुख्यालय के बिजली बिल में लगने वाले कागजों की खपत को खत्म कर एक माह में ही ना केवल 1 लाख पेड़ कटने से बचाएगी, बल्कि 1.40 करोड़ लीटर पानी भी वेस्ट होने से बचेगा। पर्यावरण विशेषज्ञ व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व मुख्य प्रयोगशाला अधिकारी डॉ. डीके वाघेला ने बताया कि एक टन ए-4 साइज का पेपर बनाने के लिए 17 पेड़ काटना पड़ते हैं। वहीं बिजली कंपनी पेपरलेस बिल सिस्टम लागू करने से 14 लाख पेपर की हर माह बचत करेगी। इस हिसाब से देखें तो 14 लाख पेपर का वजन 6 हजार 104 टन होता है। इतने टन पेपर बनाने के लिए लगभग 1 लाख 3 हजार 768 पेड़ कटेंगे। कंपनी पेपर लेस बिल योजना से इतने ही पेड़ हर महीने काटने से बचाएगी।

1.40 करोड़ लीटर पानी की होगी बचत
पर्यावरण विशेषज्ञों की माने तो कागज की एक ए-4 साइज शीट बनाने के लिए 10 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। इस तरह बिजली कंपनी हर माह 1.40 करोड़ लीटर पानी को वेस्ट होने से बचाएगी। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कागज बनाते समय पानी का पुन: उपयोग नहीं किया जाए तो पानी की यह वैल्यू डबल से ज्यादा हो जाएगी। बता दें कि एक पेड़ सालाना 117 किलोग्राम ऑक्सीजन पैदा करता है और 22 किलोग्राम कार्बन सोख लेता है।

कंपनी हर माह बचाएगी 22 लाख रुपए
बिजली कंपनी को पेपर लेस बिजली बिल सिस्टम लागू करने से हर माह लगभग 22 लाख 40 हजार रुपए की बचत होगी। कंपनी के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी को 14 लाख बिल की प्रिंटिंग और उसके वितरण पर प्रति बिल 1 रुपए 60 पैसे का खर्च आता है। कंपनी अधिकारियों का कहना है कि कंपनी को पेपर और प्रिंटिंग में 60 पैसे का खर्च आता है। यह सस्ता इसलिए पड़ता है, क्योंकि उसे बिल के आगे और पीछे छापने के लिए हर माह विज्ञापन मिलते हैं।

बिजली कंपनी की यह है योजना
मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर सहित उज्जैन, रतलाम, देवास, शाजापुर, आगर, धार, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, झाबुआ, आलीराजपुर, मंदसौर और नीमच जिला मुख्यालयों पर अगले 2 माह में पेपर लेस बिल सिस्टम शुरू करने जा रही है। बिजली कंपनी के इंदौर सहित इन सभी 15 जिला मुख्यालय वाले शहरों में कुल 14 लाख बिजली उपभोक्ता है।