भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों पर एक बार फिर 2018 की तरह बागियों का साया मंडरा रहा है। पिछली बार बागियों ने न केवल भाजपा का खेल बिगाड़ा था बल्कि कांग्रेस को भी सत्ता के लिए पापड़ बेलने पड़ गए थे। इस बार बगावत का खेल और तगड़ा दिख रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार बागियों का इस्तेमाल दोनों पार्टियां जम कर कर रही हैं। कांग्रेस ने भाजपा के कम से कम 7 बागियों को अपना टिकट देकर बढ़त ले ली है। भाजपा ने भी कई कांग्रेस नेताओं को पार्टी में शामिल करा कर टिकट दिया है। अभी तक कांग्रेस के 4 बागी प्रत्य़ाशियों को भाजपा का टिकट मिलता दिख रहा है। दोनों पार्टियां  इनका इस्तेमाल केवल चुनाव लडाकर ही नहीं बल्कि विभीषण के रूप में भी सहयोग ले रही हैं।
सात नेताओं को भाजपा छोडऩे का कांग्रेस ने दिया इनाम
कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने के बाद कांग्रेस जॉइन करने वाले नेताओं को अपना हथियार बनाया है। भाजपा से आने वाले करीब सात नेताओं को विधानसभा चुनावों में कांग्रेस  ने टिकट दिया है। भाजपा का साथ छोडऩे वाले दीपक जोशी को कांग्रेस पार्टी ने देवास जिले की खातेगांव सीट से टिकट दिया है। भाजपा से बगावत करने वाले अभय मिश्रा को रीवा जिले की सेमरिया सीट से टिकट का इनम मिला  है। इंदौर में भाजपा से बगावत कर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत को कांग्रेस ने धार जिले की बदनावर सीट से उम्मीदवार बनाया है। बागी समंदर पटेल नीमच जिले की जावद सीट पर टिकट पाने में कामयाब हुए  हैं। भाजपा से पूर्व विधायक रहे गिरजा शंकर शर्मा को होशंगाबाद सीट से टिकट देकर कांग्रेस ने जोरदार चाल चली है। अमित राय औरल राकेश सिंह चतुर्वेदी को क्रमश:निवाड़ी और भिंड सीट से टिकट देकर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस के बागियों को भाजपा ने भी दिया भाव
दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के 4 बागी उम्मीदवारों को भाजपा की पांचवी लिस्ट में जगह मिली है।  पांचवी लिस्ट के उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा ने बड़वाह विधानसभा सीट के लिए सचिन बिड़ला, सुसनेर विधानसभा सीट के लिए राणा विक्रम सिंह, वारासिवनी विधानसभा सीट के लिए प्रदीप जायसवाल और त्योंथर विधानसभा सीट के लिए सिद्धार्थ तिवारी शामिल हैं। कांग्रेस से धार के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। नागौद से कांग्रेस के पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह भी बीएसपी से टिकट मांग रहे हैं। उज्जैन से कांग्रेस सांसद रहे प्रेमचंद गुड्ड आलोट से निर्दलीय मैंदान  में आने को तैयार हैं।  उज्जैन उत्तर सीट से टिकट चाह रहे विवेक यादव ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले ली है और टिकट के दावेदार हैं। ग्वालियर ग्रामीण से टिकट की राह देख रहे केदार कंसाना अब बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।
2018 में भाजपा का काम बिगाड़ा विद्रोहियों ने
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 109 सीट जीतने में कामयाब हुई थी। कांग्रेस को भी करीब 114 सीट जीतकर भाजपा बढ़त बना ली थी। बहुमत के लिए 116 सीट जीतना जरूरी था।पर दोनों पार्टियों को विद्रोहियों के नाराजगी का फल भुगतना पड़ा। भाजपा को कम से कम 5 सीटों पर तो कांग्रेस को कम से कम सात सीटों पर इनके चलते हार का सामना करना पड़ा।  2018  के विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों के करीब 30 उम्मीदवार बगावत कर चुनाव लड़ रहे थे। इन 30 लोगों में से केवल 4 ही चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। लेकिन ये बागी जहां से मैदान में उतरे वहां पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया।  2018 में दमोह सीट पर बागी भाजपा नेता को सिर्फ 1,131 वोट ही मिल सके थे पर यही वोट अगर भाजपा कैंडिडेट को मिलते तो उसकी 798 वोटों से हार नहीं होती। पथरिया सीट पर टिकट कटने पर बागी हुए भाजपा नेता को सिर्फ 8755 वोट ही मिल सके थे। पर यही वोट अगर भाजपा कैंडिडेट को मिलते तो उसकी 2205 वोटों से हार नहीं हुई होती। ग्वालियर दक्षिण सीट पर भाजपा की बागी कैंडिडेट कुछ ज्यादा ही मजबूत साबित हुआ। इस कैंडिडेट को 30 हजार से ज्यादा वोट मिले जिसके चलते भाजपा के उम्मीदवार को मात्र 121 वोट से हार का सामना करना पड़ा। इस तरह सत्ता के जादुई आंकड़ों से 2018 के चुनावो में भाजपा कांग्रेस से सिर्फ पांच सीट पीछे रह गई थी।मतलब सीधा है कि अगर बागी उम्मीदवारों को पार्टी ने मना लिया होता तो पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल कर सकती थी।
 इस बार करीब 70 बागी उम्मीदवार
मध्य प्रदेश में भाजपा गुना और विदिशा को छोडक़र 228 सीटों पर प्रत्याशियों का नाम ऐलान कर चुकी है। कांग्रेस भी करीब-करीब सभी सीटों पर टिकटों का ऐलान कर चुकी है।दोनों पार्टियों से कितने बागी चुनाव लड़ रहे हैं, अभी ठीक-ठीक आंकड़े आने बाकी हैं । जितनी सूचनाएं मिल सकी हैं उसके आधार पर अब तक कांग्रेस को बागियों से ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है। कांग्रेस से अब तक कम से कम 40 बागियों के नाम सामने आ चुके हैं जो चुनाव लडऩे की तैयारी कर चुके हैं। भाजपा से भी बागियों की संख्या कम नहीं है। प्रदेश की अब तक 26 सीटों पर टिकट कटने के बाद भाजपा को चुनावी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह कहते हैं कि 90 फीसदी सीट सर्वे के आधार पर तय हुई हैं। इतने पारदर्शी तरीके से पहले कभी कांग्रेस उम्मीदवारों का चयन नहीं हुआ। कुछ ऐसा ही दावा भाजपा की ओर से भी हो रहा है।