चंडीगढ़ । पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने अंगदान को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। इस फैसले में हाईकोर्ट ने दो ऐसे लोगों को किडनी बदलने की अनुमति दी है। जो आपस में रिश्तेदार नहीं है।
 पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश विनोद भारद्वाज ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।मानव अंग व ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत सिर्फ पतिपत्नीबेटा बेटी पिता मां बहन भाईदादादादी पोता और पोती को ही नजदीकी रिश्तेदारों की सूची में शामिल किया गया था।
  पीजीआई चंडीगढ़ ने मरीज के स्वैप ट्रांसप्लांट को रिजेक्ट कर दिया था। याचिकाकर्ता अजय मित्तल एवं सय्यादूजमा किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं।उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी।
 सैय्यादुजमा की पत्नी इरफाना खातून अपने पति  को किडनी दान करना चाहती थी। वहीं अजय मित्तल की पत्नी अरुणा रानी का ब्लड ग्रुप सैय्यादुजमा से मैच हो गया। इरफाना खातून और अजय मित्तल का ब्लड ग्रुप मैच हुआ। दोनों महिलाएं  किडनी देने के लिए तैयार थी। लेकिन ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत पीजीआई चंडीगढ़ ने ट्रांसप्लांट नहीं किया।
 पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद दोनों मरीजों की जान बचाई जाना संभव हो गया। हिंदू और मुस्लिम की किडनी एक दूसरे को लगेगी और इससे दोनों की ही जान बचाई जा सकेगी।