भोपाल । नगर निगम चुनाव के दौरान प्रत्याशी अब खुलकर मतदाताओं को शराब पिला सकते हैं, इसके लिए बकायदा उन्हें अपने खर्चे में इसे शामिल करना होगा. इसके लिए देसी, विदेशी शराब की रेट लिस्ट बकायदा छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने प्रत्याशियों को खर्चे की मार्गदर्शिका के साथ सौंपी है। इस संबंध में कांग्रेस नेता आनंद राजपूत ने आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने शराब को स्वीकृति देकर भाजपा के लिए सत्ता हासिल करने का तैयार किया रोड मैप बनाया है कांग्रेस आयोग के फैसले की निंदा करती है। स्थानीय कांग्रेस नेता आनंद राजपूत ने आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव में शराब के डरे निर्धारित करने पर कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्य पूर्ण है। निष्पक्ष मतदान हो इसलिए मतदाता को किसी भी प्रकार का प्रलोभन नहीं देना चाहिए । उसके बाद चुनाव आयोग ने शराब के रेट तय किए है और साथ ही उसके ब्रांड के रेट भी तय किए हैं। प्रशासन स्थानीय चुनाव को किस ओर ले जाना चाहता है यह तो समझ से परे है। सत्ता में भाजपा है सत्ता के मद में मदमस्त अधिकारी भय आतंक और शराब के रास्ते इस चुनाव को जितना चाहते है। इन सब चीजों को उन्होने अधिकृत करवा लिया है। शराब लेना है तो उसकी भी दरें निर्धारित है। महात्मा गांधी के देश में चुनाव में शराब को स्वीकृति दिया जाना बहुत दुर्भाग्य पूर्ण घटना है। कांग्रेस इसकी कड़ी निन्दा करती है।

हर तरफ विरोध
चुनाव आयोग के इस अजीबोगरीब फरमान आम आदमी पार्टी ने भी आरोप लगाया है की भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है एक ओर शिवराज सरकार नशा मुक्ति वाली ग्राम पंचायत इनाम देने की बात करते है और गांव गांव में शिवराज सिंह चौहान शराब की दुकानें खुलवा रहे हैं। यह दोहरा मापदंड है। इस आदेश को देखकर लगता है कि चुनाव आयोग और भाजपा शराब का प्रचार कर रही है। इतिहास में पहली बार हुआ है कि चुनाव आयोग ने शराब की बकायदा लिस्ट जारी कर शराब को सैद्धांतिक स्वीकृति दी है।

आबकारी अधिकारी पर हो कार्रवाई
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को शिकायत करते हुए छिंदवाड़ा के सहायक आबकारी आयुक्त माधुसिंह भयढिया पर कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस तरीके से शराब की सूची और उसके दर उपलब्ध कराने का मतलब है कि प्रत्याशी मतदाताओं को शराब पिला सकता है और उसका खर्च शामिल कर सकता है। इससे आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन हो रहा है इससे और शराब बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। मध्य प्रदेश कांग्रेस के चुनाव प्रभारी जेपी धनोपिया ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि अधिकारी पर कार्रवाई के साथ ही इस आदेश को तुरंत निरस्त करना चाहिए, क्योंकि यह नैतिकता के साथ-साथ संवैधानिक रूप से भी गलत है।