हैदराबाद । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘बैकसीट ड्राइविंग (पीछे से पार्टी चलाना) या अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना पसंद नहीं है। आगे उनकी सबसे ज्यादा अहमियत इस बात की रहेगी कि वह पार्टी के लिए वैचारिक धुरी की भूमिका निभाएंगे। मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित होने के कुछ दिनों बाद रमेश ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि राहुल गांधी ही सर्वेसर्वा हैं, लेकिन इसका जवाब यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष असल में ‘सड़क पर दहाड़ता शेर’ हैं। 
रमेश का कहना था कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पार्टी के जनसंपर्क तथा इसकी ‘दो सी-राहुल गांधी के संदर्भ में संपर्क (कनेक्टिविटी) और संगठन के संदर्भ में सामूहिकता (कलेक्टिविटी)’ के लिए असली ‘बूस्टर डोज’ है। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे कारगर असर कांग्रेस संगठन पर हुआ है। कांग्रेस का हौसला बहुत ही ऊंचाई पर है। क्या आगे यह स्थायी जनसमर्थन में परिवर्तित होगा, यह सब अब संगठन पर निर्भर करेगा।’’
पार्टी महासचिव रमेश ने राहुल गांधी के नेतृत्व का उल्लेख कर दार्शनिक अलबर्ट कामस के उस कथन का हवाला दिया कि ‘मेरे पीछे मत चलो, शायद मैं अगुवाई नहीं कर पाऊं, मेरे आगे मत चलो, शायद तुम्हारा अनुसरण नहीं कर पाऊं, सिर्फ मेरे साथ चलो। उनका कहना था, राहुल गांधी जी को 18 साल से जानता हूं और मैं उन्हें काफी अच्छी तरह जानता हूं। वह ‘बैकसीट ड्राइविंग’ पसंद नहीं करते, वह अपने पद या ताकत का प्रदर्शन करना पसंद नहीं करते। वह बहुत ही लोकतांत्रिक व्यक्ति हैं। 
रमेश ने बताया कि इस यात्रा का राहुल गांधी से जुड़ी उस धारणा पर परिवर्तनकारी असर हुआ है जो ‘भाजपा की ट्रोल मशीन’ ने बहुत तोड़मरोड़कर गढ़ा गया था। उन्होंने कहा कि निजी तौर पर उनके लिए और पार्टी संगठन के लिए भी यह यात्रा एक बहुत बड़ा दांव है। खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की क्या भूमिका होगी, इस सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि यह फैसला खड़गे और राहुल गांधी को करना है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि राहुल गांधी की सबसे बड़ी अहमियत यह होगी कि वह पार्टी के लिए वैचारिक धुरी की भूमिका निभाएंगे। 
उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए बुलाया जाता है, तब वह यात्रा से कुछ दिनों का अवकाश लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कहूंगा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा से 2024 के लिए पूरी तरह से कायपलट होगा, यह लंबा सफर है। हमारे यहां कई बहुत गहरी चुनौतियां हैं जिनका हमें सामना करना है।