कांग्रेस देश को जाति के आधार पर बांटने की राजनीति कर रही है, सत्ता में रहते हुए कांग्रेस सरकार ने वर्ष 1980 में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया, सरकारी नौकरी में ओबीसी युवाओं को आरक्षण देने पर भी कांग्रेस ने कभी विचार नहीं किया, अब सत्ता में आने के लिए कांग्रेस जातिगत जनगणना की पैरवी कर रही है, जो सीधे तौर पर कांग्रेस के दोहरे चरित्र का प्रमाण है। केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव मीडिया से चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जमकर बरसे। 
     भूपेन्द्र यादव ने कहा कि पूरा देश इस बात को जानता है कि जनगणना कराने का काम केंद्र सरकार का है, जनगणना से राज्यों का कोई लेना देना नहीं होता है। लेकिन देश को जाति के आधार पर बांटने के लिए कांग्रेस जातिगत जनगणना की सिफारिश कर रही है। वायदे करने के संदर्भ में कांग्रेस का शुरू से ही रिकार्ड खराब रहा है। जनता कांग्रेस के मंसूबों को अच्छी तरह समझ चुकी है। भूपेंद्र यादव ने कहा कि वर्ष 1980 के दशक में जब संसद में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की बात आई थी तो राजीव गांधी ने उसका विरोध किया था। इससे पहले 50 के दशक में काका कालेलकर कमीशन की भी रिपार्ट आई लेकिन कांग्रेस की सरकार ने दोनों ही रिपार्ट को दबा दिया और लागू नहीं होने दिया। भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए ओबीसी समाज द्वारा संवैधानिक आयोग बनाने की मांग की गई थी, उस समय राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे, लेकिन कांग्रेस ने ओबीसी समाज की मांग पर कभी भी ध्यान नहीं दिया। यदि कांग्रेस को ओबीसी समाज से इतना ही प्रेम होता तो वर्ष 1950 से लेकर 1993 तक इस देश के ओबीसी नौजवानों को नौकरियों में आरक्षण मिल चुका होता। भूपेंद्र यादव ने कहा कि किसी समय में राहुल गांधी खुद ओबीसी नेताओं के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते आए हैं। पार्टी का रिकार्ड है कि वह कभी भी ओबीसी समुदाय की हित चिंतक नहीं रही है, जबकि भाजपा शुरू से ही ओबीसी वर्ग के साथ खड़ी है।