भोपाल । मध्यप्रदेश में वर्तमान में तापमान की बढ़त का सिलसिला थम गया है। तीव्र चक्रवात के असर से अधिकांश हिस्सों में हवाओं का रुख पश्चिमी से पूर्वी हो गया और कई जगहों पर तापमान नहीं बढ़ा। तापमान में बढोत्तरी थमने का कारण बंगाल की खाडी में आगे बढ़ रहा यह तीव्र चक्रवात है। हवाओं की दिशा बदलने का प्रभाव, उत्तर के ग्वालियर-चंबल संभाग से लेकर महाकौशल में जबलपुर-मंडला में तो दिखा, लेकिन पश्चिमी हिस्सों में ज्यादा राहत नहीं मिली। तापमान नहीं बढ़ने के बावजूद रतलाम, खंडवा और खरगाैन में लू दर्ज की गई। इस बीच सबसे अधिक तापमान भी रतलाम में 46 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पुरवाई के असर से उत्तर और पूर्व के जिलों में राहत दिखी। गुना में 2.7 तो टीकमगढ़, ग्वालियर और भाेपाल में एक-एक डिग्री सेल्सियस तापमान गिरा। इसके साथ ही सोमवार तक लू की चपेट में रहे राजगढ़ और गुना में मंगलवार को लू दर्ज नहीं हुई। गर्मी के तेवर और तीखे न हो पाने के पीछे की वजह पूर्वी हवाओं के साथ एक द्रोणिका भी रही। मौसम विज्ञानी एसके नायक के अनुसार, अगले तीन दिनों के दौरान मध्य प्रदेश में अधिकतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है और उसके बाद कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन की संभावना नहीं है। 17 मई तक मध्यप्रदेश में आमतौर पर शुष्क मौसम रहने की संभावना है।  आगामी 12 मई तक के दौरान पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में, पूर्वी मध्य प्रदेश अलग-अलग हिस्सों में लू की स्थिति की संभावना है। 13 एवं 14 मई को लू का प्रभाव कुछ कम होने की संभावना है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में हीट वेव की स्थिति बनी रहने की संभावना है। 15 मई से प्रदेश में लू से राहत मिल सकती है।  पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला के अनुसार, उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान से दक्षिण पूर्व मप्र तक एक द्रोणिका आ रही है। इससे प्रभावित जिलों में तापमान कुछ कम हुआ है। पूर्वी हवाओं का जोर दोपहर तक था, इसके बाद शाम से कई जगह हवाओं की दिशा बदली भी है। मामूली रुकावट के बाद 11-14 मई के दौरान मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में लू चलने का अनुमान है।