भोपाल । अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे सहकारी कर्मचारी काम पर लौट गए हैं। उन्होंने गेहूं खरीदी का काम भी शुरु कर दिया है। साथ कर्मचारियों ने पूरे सीजन में हडताल नहीं करने का सरकार को भरोसा भी दिया है।सहकारी समितियों में गेहूं की खरीदी करने वाले 55000 सहकारी कर्मचारी काम पर लौट गए हैं। इन्होंने गेहूं खरीदी का काम भी शुरू कर दिया है। इस सीजन में आगे हड़ताल नहीं करेंगे, यह भरोसा भी दिया है। मध्य प्रदेश सहकारिता सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष बीएस चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश में शुरू से उपार्जन का काम सहकारी समिति ही करती आई है। इसके पहले खाद बीज और राशन वितरण का काम भी यही समितियां करती थी। सरकार की हर तरह की योजनाओं को किसान और जनता तक पहुंचाने में इन समितियों ने योगदान दिया है। बदले में इन समितियों के कर्मचारियों को सरकार की तरफ से एक रूपए का भुगतान नहीं किया गया है। केवल यह समितियां खुद के व्यवसाय पर मिलने वाले लाभ से कर्मचारियों को वेतन वितरित करती है लेकिन यह लाभ भी सीमित होता है जिसकी वजह से प्रत्येक कर्मचारी की वेतन 6 से लेकर 12000 रूपए तक ही बन पाती है। इससे ज्यादा किसी को वेतन देने योग्य स्थिति समितियों की नहीं है। बीएस चौहान ने बताया की हर साल गेहूं की खरीदी में समितियों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार नागरिक आपूर्ति निगम से समय पर कमीशन भी नहीं मिलता और इस तरह कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं हो पाता है। फिर भी कर्मचारी सरकार के निर्देशों पर प्रदेश के किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराते हैं, बीज उपलब्ध कराया जाता है और वर्षों से समय पर समुचित गेहूं और धान खरीदी करते हैं। अब तक समितियों ने किसानों को किसी तरह परेशान नहीं होने दिया है। तब भी समिति कर्मचारियों को सरकार ने अपने हाल पर छोड़ दिया है न तो कैडर है और ना ही शासकीय सेवक का दर्जा है। जब चाहे तब निकाल दिया जाता है या फिर वेतन रोक लिया जाता है। कई बार तो छोटी समितियों में घाटा होने का कह कर दो दो महीने तक कर्मचारियों को घर में बैठा कर रखा जाता है और वेतन भी नहीं दिया जाता। किसानों की सबसे ज्यादा मदद करने वाले कर्मचारियों की दुर्दशा को बार-बार शासन प्रशासन के सामने रख रहे हैं। तब भी कोई निराकरण नहीं किया जा रहा है। इन्हीं परेशानियों से निराश होकर पूरे मध्यप्रदेश के कर्मचारियों ने इस बार गेहूं खरीदी नहीं करने का निर्णय लिया था लेकिन किसानों की परेशानियों और शासन के अधिकारियों से मिले भरोसे के बाद काम पर लौट गए हैं।