स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक सक्रियता जरूरी है, हालांकि व्यस्तता के कारण लोग खुद के लिए वक्त नहीं निकाल पाते और फिटनेस पर ध्यान नहीं दे पाते। थकान या आलस के कारण भी अक्सर लोग शारीरिक सक्रियता से बचते हैं। ऐसे में कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। मोटापा, शरीर दर्द, अपच और तनाव आदि जैसी शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं। इन परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए योग लाभकारी है, लेकिन योगाभ्यास के लिए समय नहीं मिल पाता या आलस में आसन नहीं कर पाते तो यहां आपको बिस्तर पर लेटे-लेटे कई आसनों के अभ्यास का तरीका बताया जा रहा है। इन आसनों को करने के लिए अलग से किसी जगह या समय की जरूरत नहीं है। सुबह नींद खुलते ही बिस्तर पर लेटकर कुछ योगासनों का अभ्यास 10-15 मिनट कर सकते हैं। सुबह योगासन के अभ्यास से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और शारीरिक समस्याएं कम होने के साथ ही तनाव और चिंता भी कम होती है। अगली स्लाइड्स में जानिए सुबह बिस्तर पर लेटकर किए जाने वाले आसन योगासनों के बारे में।

भुजंगासन

बिस्तर पर लेटकर आसानी से भुजंगासन का अभ्यास कर सकते हैं। रोजाना सुबह भुजंगासन के अभ्यास से भुजाएं मजबूत होती हैं। मांसपेशियों में खिंचाव आता है और बेली फैट कम होता है। इस आसन के अभ्यास के लिए बिस्तर पर पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को कंधे के सामने ले आएं। पूरा शरीर एक सीध में रखते हुए ऊपरी हिस्से को भुजाओं से उठाएं और पैर सीधे रखें। कमर से ऊपर का हिस्सा हवा में उठाते हुए कुछ देर इसी स्थिति में रहें। बाद में सामान्य अवस्था में आ जाएं।

सेतुबंधासन

गठिया की शिकायत से बचाव के लिए, खासकर महिलाओं के लिए सेतुबंधासन का अभ्यास को बेहतर माना जाता है। इस योग से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। आर्थराइटिस के लक्षण कम होते हैं और गर्दन, रीढ़, छाती व कूल्हों की बेहतर स्ट्रेचिंग होती है।

पवनमुक्तासन

शरीर में लचीलापन, रीढ़ की हड्डी की मजबूती, शरीर की थकान को दूर करने के लिए बिस्तर पर लेटकर दोनों पैरों को आपस में मोड़ लें। अब घुटनों को छाती पर लगाते हुए हाथों से पैरों को समेटें। इसी अवस्था में कुछ देर रहते हुए लंबी-लंबी सांस लें और छोड़ें।

मत्स्यासन

इस आसन को फिश पोज कहते हैं। बालों की ग्रोथ तेज करने के साथ ही शरीर को सेहतमंद रखने के लिए इस योग का अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन को करने के लिए पद्मासन में बैठकर धीरे-धीरे पीछे झुकें और पीठ के बल लेट जाएं। दाएं हाथ से बाएं पैर और बाएं हाथ से दाएं पैर को पकड़ें। कोहनियों को जमीन पर टिकाते हुए घुटनों को जमीन से सटाएं। सांस लेते समय सिर को पीछे की ओर उठाएं। इस अवस्था में धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। फिर शुरूआती अवस्था में आ जाएं।