भोपाल ।  रोगियों के उपचार में चिकित्सकों द्वारा गंभीर लापरवाही के मामले सामने आने के बाद मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद (एमपीएमसी) ने बड़ी कार्रवाई की है। गर्भ में दो शिशु होने पर भी सोनोग्राफी में एक बताने पर भोपाल की चिकित्सक डा. माया डोडानी को सोनोग्राफी करने से एक साल तक के लिए रोक दिया है। वहीं, छिंदवाड़ा के चिकित्सक डा. एसी खुराना द्वारा यही गलती करने पर कार्रवाई के लिए वहां के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखा है। अरविंदो मेडिकल कालेज में एक मरीज को गलत ब्लड चढ़ाने के मामले में वहां के तत्कालीन ब्लड बैंक अधिकारी का पंजीयन एक साल के लिए निलंबित किया गया है। इसी तरह एक अन्य मामले में निकारागुआ से एमडी (स्नातकोत्तर) की डिग्री मान्य नहीं होने की वजह से अतिरिक्त योग्यता का पंजीयन निरस्त कर दिया है। परिषद ने सात से आठ साल पुराने मामलों में अब कार्रवाई की है । इससे प्रभावित कुछ चिकित्सक कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

इन पर हुई कार्रवाई

डा. प्रशांत कुमार बंडी - खून की कमी की बीमारी से पीड़ित उमारानी वर्मा का रक्त समूह एक अस्पताल ने बी पाजिटिव बताया था। दिसंबर 2013 में मरीज अरविंदो मेडिकल कालेज में भर्ती हुई तो यहां उसका ग्रुप एबी पाजिटिव बताकर नौ यूनिट रक्त चढ़ाया गया। इसके बाद मरीज की हालत बिगड़ी तो सुधारने के लिए चार यूनिट ओ निगेटिव रक्त चढ़ाया गया। 2015 में मरीज की मौत हो गई। मरीज के स्वजन को यह सब जानकारी नहीं दी गई। परिषद में मामले की शिकायत हुई। सुनवाई के दौरान कई बार डा. प्रशांत कुमार अपना पक्ष रखने के लिए भी नहीं पहुंचे। लापरवाही के आरोप में उनका एक साल के लिए पंजीयन निलंबित किया गया।

डा. मोनिका गुप्ता : इन्होंने चिकित्सा में स्नातकोत्तर (एमडी) डिग्री निकारागुआ से की थी। इसी आधार पर 2017 में उन्होंने मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में अतिरिक्त डिग्री का पंजीयन कराया था। काउंसिल के संज्ञान में आया कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परिषद द्वारा चिकित्सा योग्यता के लिए चिह्नित देशों में निकारागुआ शामिल नहीं है। इस पर परिषद ने डिग्री को अमान्य कर दिया। काउंसिल को डा. गुप्ता ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। इस कारण उनकी इस डिग्री के आधार पर अतिरिक्त योग्यता का पंजीयन निरस्त कर दिया गया है।

डा.माया डोडानी, भोपाल- गंजबासौदा निवासी अंकिता राजपूत ने परिषद में शिकायत की थी कि 2015 में गर्भावस्था के दौरान कोहेफिजा स्थित ईशकृपा नर्सिंग होम में उपचार कराया था। इस दौरान यहां की चिकित्सक डा.माया डोडानी ने सोनोग्राफी कर एक संतान होना बताया। प्रसव पीड़ा होने पर तृप्ति हास्पिटल में सोनोग्राफी हुई तो दो संतानें थीं। दोनों की दिल की धड़कन नहीं चल रही थी। गलत सोनोग्राफी के आरोप के चलते उन्हें एक साल के लिए सोनोग्राफी करने से रोका गया है।

गर्भ में दो की जगह एक बच्‍चा बताया, सीएमएचओ को कार्रवाई के लिए लिखा

छिंदवाड़ा की रोशनी सोनी ने परिषद में 2014 में शिकायत की थी कि उन्होंने शहर के अम्मा अस्पताल में सोनोग्राफी कराई थी। यहां डा. एससी खुराना ने सोनोग्राफी की, पर मुहर डा. मिनी वर्गीस के नाम की लगाई। तीन बार सोनोग्राफी के बाद भी उन्होंने एक ही बच्‍चा होना बताया। सही जानकारी नहीं होने की वजह से उपचार के अभाव में गर्भस्थ दोनों शिशुओं की मौत हो गई। मां की हालत गंभीर हो गई थी। आयुक्त चिकित्सा शिक्षा ने इस मामले में कार्रवाई के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी छिंदवाड़ा को पत्र लिखा है।